पाषणाकालीन धराेहराें की निशानी आदमगढ़ बड़ी पहाड़िया साेमवार काे 103 दिन बाद सैलानियों के लिए खुल जाएगी। टिकट के रुपए एप से ही लिए जाएंगे। लॉकडाउन के बाद से पहाड़िया पर एंट्री बंद थी। 98 एकड़ में फैली पहाड़िया पिकनिक स्पॉट तो है पुरातत्व विभाग का दावा है कि पहाड़िया पर पाषाणकाल में आर्मबेस (शस्त्रागार) रहा है। इसके प्रमाण बारिश में मिलने वाले औजाराें के अवशेष हैं। यहां तलवार, बल्लम, ब्लेड, बर्तन, गहनाें के अवशेष हैं, जिन्हें नागपुर के पुरातत्व संग्रहालय भेजा जाता है।
10 माह में बिके 8 लाख रुपए के प्रवेश टिकट
आदमगढ़ पहाड़िया के शैलचित्र देश और दुनिया में प्रसिद्ध है। यहां विदेशी सैलानियों से 300 रुपए प्रति व्यक्ति अाैर आम लोगों से 25 रुपए प्रतिव्यक्ति टिकट शुल्क लिया जाता है। लाॅकडाउन से पहले दस महीनाें में पहाड़िया के करीब 8 लाख रुपए के टिकट बिके हैं। इस दाैरान 35 विदेशी सैलानी पहुंचे। पुरातत्व विभाग के मल्टीटाकिंग स्टाफ श्रवण कुमार ने बताया लाॅकडाउन के बाद से अब 6 जुलाई से पर्यटकाें के लिए गेट खाेले जाएंगे।
पहाड़िया पर इन वन्यजीवाें का बसेरा, 16 शैलाश्रय भी
- पहाड़िया पर विभिन्न प्रजातियाें की तितलियां, सियार, लाेमड़ी, लकड़बग्घा, सिंघी, माेर, लाेमड़ी, हिरण।
- शैलचित्र : आदमगढ़ में 16 शैलाश्रय हैं, इनमें 11 मेंशैलचित्र हैं। इन चित्राें में वनस्पतिक रंगाें का उपयाेग किया है।
दुर्लभ वनस्पति
वनस्पतियों पर 17 साल से शोध कर रहे विशेषज्ञ डाॅ. रवि उपाध्याय ने बताया पहाड़िया पर दुर्लभ वनस्पतियां हैं। इनमें संजीवनी, वन लहसन, सर्पजिह्वा, मयूरशिखा, मेडसिंघी, वरुना, अपामार्ग, स्वेतपाकर, शिवलिंगी, कड़ाइनाय, दूधी प्रमुख हैं।
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