पिछले दो साल से शहर में चल रहा सीवेज नेटवर्क का काम जिन क्षेत्रों में पूरा हो गया है, वहां घरों की सीवेज लाइन को नेटवर्क से जोड़ा जाएगा और इसके लिए नगर निगम 3000 से 4500 रुपए तक वसूलेगा। इसके साथ ही हर महीने 145 रुपए का बिल भी देना होगा। चरणबद्ध तरीके से पूरे शहर में सीवेज के कनेक्शन होंगे।
सीवेज नेटवर्क बिछने के साथ ही घरों में सीवेज के कनेक्शन का काम शुरू होने वाला है। कनेक्शन के चार्जेस पानी के कनेक्शन के लगभग बराबर होंगे। कॉलोनी के बल्क कनेक्शन के लिए सवा लाख रुपए और मासिक शुल्क 11.50 रुपए प्रति एक हजार लीटर तक हो सकता है। इस महीने के अंत तक नगरीय आवास एवं विकास विभाग की स्टेट लेवल टेक्निकल कमेटी (एसएलटीसी) की बैठक में कनेक्शन चार्जेस और हर माह का टैरिफ तय होगा। इसके बाद संभागायुक्त निगम प्रशासक के रूप में संकल्प जारी करेंगे। बारिश के बाद फील्ड में कनेक्शन का काम शुरू हो सकता है।
निगम अपर आयुक्त पवन सिंह के मुताबिक इस महीने के अंत तक होने वाली एसएलटीसी की बैठक में सीवेज नेटवर्क से घरेलू कनेक्शन के रेट तय करने का प्रस्ताव रखेंगे । हमारी कोशिश है कि जल्दी ही यह काम शुरू हो। नेटवर्क का लाभ तभी मिलेगा जब कनेक्शन होंगे ।
या तो स्वयं ट्रीटमेंट करें या कनेक्शन लें
ऐसी सभी काॅलोनियां जहां सीवेज का पूरा ट्रीटमेंट करके शेष पानी के पुन: उपयोग की व्यवस्था नहीं है उन्हें यह कनेक्शन लेना होगा। नियमानुसार 1000 मकानों वाली कॉलोनियों में एसटीपी लगा होना जरूरी है। निगम अफसरों का कहना है कि इन काॅलोनियों को भी कनेक्शन लेने की सुविधा दे सकते हैं, क्योंकि एसटीपी का संचालन मुश्किल काम है।
अभी यह हैं हाल
शहर में 1,873 किमी सीवेज लाइन बिछी हुई है। लेकिन 80 फीसदी से अधिक क्षेत्र में व्यवस्थित सीवेज नेटवर्क नहीं है। कॉलोनियों में सीवेज चैंबर बनाकर उसे पास के नाले से जोड़ दिया गया है। शिवाजी नगर से लेकर टीटी नगर तक सरकारी मकानों के लिए बिछाया गया नेटवर्क भी अब ध्वस्त हो गया है। करीब 15 साल पहले एडीबी प्रोजेक्ट में 130 किमी सीवेज लाइन बिछाई गई थी। इसके पहले भोज वेटलैंड प्रोजेक्ट में 86 किमी नेटवर्क बिछाया गया था, लेकिन दोनों को ही घरों से नहीं जोड़ा जा सका।
प्रदेश में कहीं भी नहीं है ऐसी व्यवस्था
प्रदेश के किसी भी शहर में ऐसी व्यवस्था नहीं है। दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों में सीवेज का कनेक्शन और मेंटेेनेंस का शुल्क दोनों देना होता है। मासिक शुल्क पेयजल के बिल के साथ जुड़कर आता है। भोपाल में भी पानी के बिल के 80 फीसदी के बराबर सीवेज नेटवर्क के रखरखाव का बिल लेने का प्रस्ताव है। माना जाता है कि सप्लाई होने वाले पानी का 80 फीसदी सीवेज में बह जाता है।
दो साल से चल रहा है सीवेज नेटवर्क का काम
शहर में पिछले दो साल से सीवेज नेटवर्क का काम चल रहा है। माहौली- दामखेड़ा का एसटीपी चालू हो गया है। इसे भोज वेटलैंड परियोजना के तहत बने पंप हाउस से जोड़ दिया गया है। नीलबड़ और कोहेफिजा क्षेत्र की शिरीन नदी पर बन रहे एसटीपी का काम भी दो- तीन महीने में यह काम पूरा हो जाएगा। इसके बाद नीलबड़ समेत पूरे भदभदा क्षेत्र के साथ बाणगंगा, गिन्नौरी, फतेहगढ़, एमएलबी कॉलेज, नॉर्थ टीटी नगर, प्रोफेसर्स कॉलोनी के क्षेत्रों में घरों में सीवेज के कनेक्शन का काम शुरू होगा।
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