एक बार विवाह का मुहुर्त निकलने के बाद दूसरी बार दूल्हे शादी के लिए बाइक से पहुंचे और सात फेरे लिए। एक दूल्हा 80 किलोमीटर तो दूसरा 45 किलोमीटर दूर से पहुंचा था।
पहली बार लॉकडाउन की वजह शादी को टालना पड़ा था। दूसरी बार फिर से वही हालात बन रहे थे। इसलिए दो दूल्हे बाइक से दुल्हन के घर पहुंचे और पांच बारतियों की मौजूदगी में सात फेरे लिए। इस दौरान सोशल डिस्टेंस का पालन भी किया गया। एक दूल्हा 80 किलोमीटर दूर सैलाना से आया तो दूसरा 45 दूर दूलाजखेड़ी गांव से पहुंचा था। दोनों दूल्हे गांव खरसौदकलां की कृपाल बस्ती निवासी शिवलाल के घर आए थे। यहां रतलाम जिले के सैलाना से आए दिनेश परमार का बड़ी बेटी कविता से विवाह हुआ। जबकि उज्जैन जिले के दूलाजखेड़ी से आए लखन की शादी छोटी बेटी संध्या से हुई। दूल्हा दिनेश 80 किमी का खरसौदकलां के लिए 2 घंटे में बाइक पर सफर कर चाचा के साथ आया था। लखन को उसके पिता लेकर आए। शिवलाल की बेटियों की शादी 29 मार्च होनी थी। सभी तैयारियां भी हो चुकी थी, लेकिन एेनवक्त पर लॉकडाउन की वजह से सभी तैयारियों के बाद भी शादी को टालना पड़ा था।
वरमाला में यह लोग रहे साक्षी
दूल्हा दिनेश काका को लेकर तो लखन ने पिता के साथ बारात के रूप मे दुल्हन के घर फेरे लेने पहुंचा, जबकि इधर दुल्हन की ओर से न घराती और न ही नाती शामिल हुए। मात्र ग्राम पंचायत के सरपंच गिरजा ललित जानी एवं सचिव हरिश राठौर को आमंत्रित कर विधिवत पंडित से सात फेरे करके दुल्हन को विदाई दी।
पिता के मंसूबे पर फिरा पानी
शिवलाल के सजाए सपनों पर कोरोना ने पानी फेर दिया है। उनका मानना है कि बिटिया की शादी धूमधाम से रचाने की योजना थी। 29 मार्च को शुभ मुहूर्त मे लग्न निकल चुके थे। शादी के लिए गणेश पूजन भी हो चुका था। अचानक कोरोना लॉकडाउन के चलते शादी को रोकना पड़ी, परंतु घर मे बड़े बुजुर्गों मुताबिक गणेश पूजन के बाद शादी रोकना अशगुन माना जाता है।
सोशल डिस्टेंस का रखा ध्यान
ग्राम पंचायत के सचिव हरीश राठौड़ ने बताया बताया नगर में शिवलाल की बेटी की बारात के रूप में आए दूल्हों के साथ काका एवं पिता के सामने 5 लोगों की उपस्थिति में शादी की रस्म पूरी की। विवाह रस्म के समय दूल्हा-दुल्हन में शारीरिक दूरियां बनाकर सैनिटाइजर भी किया।
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