दो साल का बच्चा मां के पास रहे या पिता के साथ, यह हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने तय कर दिया। मंगलवार को जारी फैसले में कहा गया कि बच्चा जब कोर्ट में आया तो वह अपनी मां को देख बहुत खुश था और सीधे मां की गोद में जाकर बैठ गया। बच्चे ने यह भी कहा कि उसे अपनी मां के साथ ही रहना है। लिहाजा, मां के पास रखे जाने की मांग को लेकर दायर याचिका स्वीकार की जाती है। वहीं पिता को कस्टडी से कोई परेशानी है तो वह फैमिली कोर्ट में अलग से परिवाद दायर कर सकते हैं।
मामला पति-पत्नी के विवाद का है। पति से विवाद होने के बाद मायके आई महिला ने संतान को अपने साथ रखने के लिए हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगाई थी। उसने कहा था कि ससुराल पक्ष संतान से नहीं मिलने देता। ना ही फोन पर बात कराते हैं। मामला संवेदनशील था तो कोर्ट भी लॉकडाउन लगने के बाद पहली बार फेस टू फेस सुनवाई करने के लिए खुला। सोमवार को जस्टिस सतीशचंद्र शर्मा की खंडपीठ ने बच्चे को बुलाकर उससे बात की। बच्चे ने हंसते-मुस्कराते हुए कहा- उसे अपनी मां के साथ रहना है।
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