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वार्ड नंबर 4, 32, 47, 66 और 73 को जीरो वेस्ट वार्ड बनाने के लिए चार एनजीओ के प्रतिनिधि घर-घर जाकर लोगों को जागरूक करेंगे। इसके तहत लोगों को घर में ही कंपोस्टिंग बिन लगाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। एक कंपोस्टिंग बिन की लागत 700 से 2100 रुपए तक साइज और क्वालिटी के हिसाब से आती है। इससे लोग घरों में ही गीला कचरा उसमें डाल सकेंगे। इससे 45 से 60 दिन में वह खाद बन जाएगी। अभी तक यह व्यवस्था जीरो वेस्ट का खिताब हासिल कर चुके परमाणु नगर, आरआर कैट, क्लासिक पूर्णिमा, न्यूयार्क सिटी, सैंक्चुरी पार्क, रणजीत हनुमान मंदिर, जू, खजराना गणेश मंदिर व अन्य के पास है। एनजीओ को यह काम अक्टूबर तक करना है। इनर्ट जाएगा लैंडफिल के लिए : घरों में कंपोस्टिंग बिन लगने के बाद कचरा निकलना बंद हो जाएगा। एनजीओ घरों से सिर्फ सूखा कचरा ही लेगा। इसके सैग्रिगेशन के लिए वार्ड स्तर पर ही ड्राय वेस्ट सेंटर बनेगा। यहां कबाड़ में बिकने वाली चीजों को अलग किया जाएगा। बची हुई धूल या छोटे-छोटे पाउच जिसे रिसाइकिल नहीं किया जा सकता (इनर्ट) वही सिर्फ देवगुराड़िया में लैंड फिलिंग के लिए जाएगा। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
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June 29, 2020
वार्ड नंबर 4, 32, 47, 66 और 73 को जीरो वेस्ट वार्ड बनाने के लिए चार एनजीओ के प्रतिनिधि घर-घर जाकर लोगों को जागरूक करें…
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जून की औसत बारिश का कोटा पूरा हो गया। शनिवार रात को 13 मिलीमीटर यानी आधा इंच के करीब बारिश हुई। इसे मिलाकर अब तक 125 मिमी (5 इंच) बारिश हो चुकी है। सोमवार से फिर बारिश का दौर शुरू हो सकता है। पिछले साल 30 जून तक 5 इंच पानी गिरा था। इस बार 27 जून को ही औसत पानी बरस गया। अगले दो दिन पानी गिरा तो यह जून के औसत से ज्यादा होगा। वहीं बारिश के दिनों की बात की जाए जून में 14 दिन पानी गिरा है, जबकि औसत दिन सात ही माने जाते हैं। प्रदेश में अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में बने सिस्टम सक्रिय होकर पानी बरसाएंगे। जून के आखिरी दिन से ही प्रदेश में इसका असर दिखने लगेगा। जुलाई के पहले सप्ताह में भी तेज बारिश के दौर आते रहेंगे। इंदौर भी इससे अछूता नहीं रहेगा। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today धूप खिली रही, नजारा केसरबाग ब्रिज का। फोटो : डॉ. रामकुमार श्रीवास्तव
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June 29, 2020
जून की औसत बारिश का कोटा पूरा हो गया। शनिवार रात को 13 मिलीमीटर यानी आधा इंच के करीब बारिश हुई। इसे मिलाकर अब तक 125 म…
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|नगर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ अधिकारी एवं कर्मचारियों के साथ नर्स की लापरवाही से प्रसूता का टॉयलेट में प्रसव हो गया है। नरवर विकासखंड के ग्राम छतरी निवासी प्रसूता रानी पत्नी राजेश ठाकुर को शाम के समय प्रसव पीड़ा होने पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में रात 9 बजेलाया गया।प्रसूता के पति राजेश ठाकुर का कहना है कि पत्नी रानी को ड्यूटी पर तैनात नर्स आदर्श जादौन को दिखाया। उसने बताया कि डिलीवरी सुबह 5 बजे के करीब होगी। इसके बाद वह घर सोने चली गई और कुछ देर बात रात में पत्नी को प्रसव पीड़ा हुई तो मैं नर्स के घर गया और प्रसव पीड़ा होने की बात कही। तो नर्स ने कहा कि उसे अस्पताल प्रांगण में टहलाओ डिलीवरी सुबह से पहले नहीं होगी और वहअपने घर में जाकर सो गई। राजेश का यह कहना है कि पत्नी को तेज प्रसव पीड़ा होने के बाद लघुशंका लगी जब उसे टॉयलेट में ले गए तभी उसने लड़के को जन्म दे दिया। राजेश का आरोप है कि यदि उसके परिजन की महिलाएं साथ नहीं होती तो उसकी पत्नी एवं उसके बच्चे को जान का खतरा हो सकता था। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
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आईआईटी कैंपस में तेंदुए का पगमार्क देखा गया है। प्रबंधन ने कैंपस में रहने वाले छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों को कैंपस में बेवजह नहीं घूमने की सलाह दी है। परिसर में रहने वाले परिवारों को सलाह दी गई है कि वे छोटे बच्चों को अकेले नहीं जाने दें। जून के पहले सप्ताह में भी एक तेंदुआ दिखा था। वन विभाग ने उसे पकड़कर जंगल में छोड़ा था। आईआईटी ने इसकी सूचना वन विभाग को भी दी है। आईआईटी की 500 में से 300 एकड़ में जंगल, इसलिए आते रहते हैं जंगली जानवर आईआईटी के पास सिमरोल में वैसे तो 501 एकड़ जमीन है, लेकिन उसमें से करीब 300 एकड़ पर घना जंगल है। आईआईटी की कई सारी सुविधाएं इस जंगल से सटे हुए क्षेत्र में बनी हैं। हालांकि सुरक्षा के सारे प्रबंध आईआईटी ने किए हैं। फिर भी तेंदुए, लकड़बग्घा, जंगली सूअर सहित अन्य जानवर कैंपस में घुस जाते हैं। ग्रामीणों के अनुसार बारिश में घने जंगल के बाहर भी पानी के कई स्रोत बन गए हैं, इसलिए भी जंगली जानवर बाहर आ चुके हैं। Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today Leopard footprints seen in IIT, management advises people - do not go off unnecessarily
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June 29, 2020
आईआईटी कैंपस में तेंदुए का पगमार्क देखा गया है। प्रबंधन ने कैंपस में रहने वाले छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों को कैं…