हमारे घर में खाने के लाले हैं। पति मजदूर हैं। पांच बच्चे हैं और एक संतान पेट में पल रही है। ऐेसे में काम बंद होने से घर में कमाने वाला कोई नहीं है। घर में राशन भी खत्म हो गया है। अब हम बच्चों को क्या खिलाएं। हमें कंट्रोल की दुकान से राशन भी नहीं मिला। अपनी पीड़ा किसे सुनाएं। किसी ने हमें बताया कि नगर पालिका से राशन बंट रहा है, इसलिए हम यहां आए हैं। यह बात मनियर में रहने वाली 36 वर्षीय राजकुमारी ने कही। वे गुरुवार नगर पालिका कार्यालय में मनियर क्षेत्र की अन्य महिलाओं के साथ आई थीं। नपा कर्मचारियों ने महिलाओं का आश्वासन दिया कि उनके नाम नोट कर लिए हैं। घर पर मदद पहुंचा दी जाएगी।
शहर के मनियर क्षेत्र में गरीब लोगों की आबादी अधिक हैं। यहां रहने वालीं करीब 30 महिलाएं गुरुवार को नगर पालिका कार्यालय पहुंच गईं। इन महिलाओं ने शिकायत करते हुए कहा- हमें न खाने के लिए पैकेट मिल रहे हैं न शासन की ओर से कोई और मदद मिल रही है। हमें यदि नगर पालिका राशन मुहैया करा दे तो हम बच्चों के साथ खुद का पालन कर सकेंगे। इन महिलाओं में राजकुमारी के अलावा सुशीला, रचना, रानी, साबो और पार्वती आदि शामिल थीं। सीएमओ के मौजूद न होने के कारण नपा कर्मचारियों ने इन महिलाओं के नाम लिखकर यह कहकर रवाना कर दिया कि उन्हें मदद पहुंचा दी जाएगी।
मानसिक दिव्यांग महिला बोली- मेरे दो बच्चे, मांग कर खाना खाती हूं
मनियर की रहने वाली मानसिक दिव्यांग महिला काजल ने अपनी पीड़ा बयां करते हुए कहा कि उसे लोग पागल कहते हैं, जबकि वह सब समझती है। वह लोगों की सहायता से इधर उधर से अपने और बच्चों का पेट भरती है, लेकिन अब सब बंद हो गया है। ऐसे में उसके सामने खाने का संकट पैदा हो गया है। यह सुनकर नपा अधिकारियों ने उसको दीनदयाल रसोई योजना से भोजन के पैकेट उपलब्ध कराने के साथ मदद का आश्वासन दिया। मनियर क्षेत्र की दूसरी गली की महिलाओं ने आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी गली में भोजन के पैकेट नहीं दिए जा रहे हैं। आदिवासी परिवार हैं, फिर भी हमारे राशन कार्ड नहीं हैं। कुछ महिलाओं ने पर्ची न निकलने की शिकायत कर कहा कि हमें न तो कंट्रोल से राशन मिल रहा है न हमारी पार्षद सुनती हैं। ऐसे में परेशान होकर हम शिकायत करने नगर पालिका गए। यहां हमारे नाम लिख लिए, पर राशन नहीं मिला। शिकायत करने वालों में वार्ड में रहने वाली बेबी, रजनी, भूरी, वर्षा, कुसुम, पिंकी, साहना, कल्लो और कांता आदिवासी के साथ अन्य महिलाएं भी शामिल रहीं।
इधर... कलेक्टोरेट पहुंचीं महिलाएं बोलीं- कोरोना से पहले कहीं भुखमरी से न मर जाएं
शहर के वार्ड 26 में रहने वालीं शिव गौरी, कुंजबिहारी, जय दुर्गे स्व सहायता समूह का संचालन करने वाली महिलाएं गुरुवार को सामूहिक रूप से एकत्रित होकर कलेक्टोरेट पहुंचीं। उन्हें कलेक्टोरेट में कलेक्टर नहीं मिलीं, इसलिए वे निराश होकर लौट गईं। इस दौरान शिव गौरी समूह की अध्यक्ष सोनू भार्गव ने बताया कि हमारे वार्ड में समूह से जुड़ीं महिलाओं की आर्थिक स्थिति बेहद गंभीर है। वे बरी पापड़ बनाकर जैसे तैसे अपना गुजारा करती हैं। इन महिलाओं को कंट्रोल से राशन नहीं मिला। नगर पालिका से भी कोई मदद नहीं मिली। यह महिलाएं भले ही बीपीएल कार्ड धारी नहीं हैं लेकिन इनकी स्थिति बहुत नाजुक है। इसलिए इन महिलाओं को नगर पालिका या प्रशासन राशन मुहैया कराए। वहीं कुंजबिहारी समूह का संचालन करने वाली रजनी चौहान ने बताया कि हमारे समूह की महिलाओं को भी राशन नहीं मिला है। हालात इतने बुरे हैं कि कोरोना के कहर आने से पहले वे भुखमरी से न मर जाएं। कलेक्टोरेट में इन महिलाओं की कोई सुनवाई नहीं हुई। एक महिला को 10 किलो गेहूं का कट्टा देकर बोला गया कि सबके नाम लिख लिए हैं, सबको मदद मिलेगी।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
कलेक्टर शिवपुरी अनुग्रहा पी का कहना है कि मैं अभी जिला खाद्य अधिकारी को बोलती हूं कि वे मनियर और जरूरतमंद बस्तियों के साथ सारे शहर में पीडीएस राशन वितरण करने की सुचारू व्यवस्था बनाएं। साथ ही इस संबंध में जानकारी एकत्रित करें। सीएमओ, नगर पालिका केके पटेरिया ने बताया कि नगर पालिका दीनदयाल रसोई योजना के माध्यम से जरूरतमंदों को घर-घर भोजन मुहैया करा रहा है। हम गेहूं भी बांट रहे हैं। पीडीएस से खाद्यान्न का वितरण भी हो रहा है। जो महिलाएं आईं थीं, उनको हमने भोजन के पैकेट दीनदयाल रसोई योजना से लेने को कहा है। साथ ही इनके नाम लिखकर आवश्यक मदद उपलब्ध कराने के निर्देश अधीनस्थों को दिए हैं।
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