कोरोना महामारी के कारण नियम-शर्तों के साथ शहर के मंदिर भक्तों के दर्शन के लिए खोले दिए गए हैं, अब एक सप्ताह बाद ही हिंदू संस्कृति के महत्वपूर्ण पर्वों का सिलसिला शुरू हो रहा है। इनमें 1 जुलाई को देवशयनी एकादशी, 5 जुलाई को गुरु पूर्णिमा और 6 जुलाई से सावन माह का शुभारंभ होगा। पं. रोहित दुबे ने बताया कि इस बार लंबे अर्से बाद पाँच सोमवार वाले सावन माह का आगमन हो रहा है, जो भक्तों के लिए शुभ संकेत माना जा रहा है। देवशयनी एकादशी पर सभी देवी-देवता योगनिद्रा में चले जाते हैं। इस मान्यता के कारण लगभग चार माह देवउठनी एकादशी (25 नवंबर) तक सभी मांगलिक कार्य नहीं होंगे, लेकिन जप, तप, दान, व्रत, हवन आदि जारी रहेंगे।
गुरु पूर्णिमा पर ऑनलाइन दर्शन
गुरु पूर्णिमा पर्व 5 जुलाई को मनाया जाएगा। सोशल डिस्टेंसिंग और कोरोना संक्रमण से बचाव के कारण इस बार गुरु-शिष्यों के मिलन पर संशय के बादल मंडरा रहे हैं। इस स्थिति में शिष्यों को अपने गुरुओं के चित्र पूजन, मानसिक नमस्कार एवं संचार साधनों की मदद लेनी होगी। गुरु पूर्णिमा के साथ ही चातुर्मासिक अनुष्ठानों का सिलसिला विभिन्न समाजों में शुरू हो जाएगा। हालाँकि इस बार असमंजस की स्थिति बनी हुई है। आश्रमों में ऑनलाइन दर्शन करने की व्यवस्था की जा रही है। ताकि आश्रम में शिष्यों को आने से रोका जा सके।
सोमवार से शुुरूआत और सोमवार को समापन
पं. वासुदेव शास्त्री ने बताया कि इस वर्ष सावन मास का शुभारंभ 6 जुलाई को सोमवार से होगा और समापन भी 3 अगस्त सोमवार को ही होगा। लंबे अंतराल बाद इस बार सावन में पाँच सोमवार आ रहे हैं, जो ज्योतिषियों की दृष्टि से शुभ संकेत है। पं. राजकुमार शर्मा शास्त्री ने बताया कि सोमवार शिवजी का प्रिय दिन होता है। चंद्रमा का एक नाम सोम भी है। चंद्रमा को शाप लगने पर उन्होंने सोमनाथ की आराधना कर शाप से मुक्ति पाई थी।
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