कोरोना का असर टेलरिंग व्यवसाय से जुड़े शहर के करीब 600 परिवारों पर पड़ा है। दीपावली से अक्षय तृतीया तक कपड़ों की सिलाई का सीजन रहता है, लेकिन होली के बाद जैसे ही लाॅकडाउन लगा और शादियां टली तो टेलर्स की दुकानों पर सिले सिलाए सूट और अन्य ड्रेस लाॅक हो गई। अब जब वे अनलाॅक हुए तो सीजन लाॅक हो गया।
मार्च, अप्रैल और मई माह की शादियों के बड़े सीजन को लेकर टेलरों की दुकानों पर सूट, पेंट-शर्ट, कुरते-पायजामे और अन्य पार्टी वेयर कपड़ों के ऑर्डर मिले थे। इन्हें सीलकर तैयार कर दिया गया, लेकिन कोरोना के कारण कपड़े शादियां नहीं होने से लोग नहीं ले गए। नगर के टेलर बताते हैं कि इस साल का सीजन तो लाॅक हो गया है। अब स्थिति पटरी पर आने में करीब एक साल लग जाएगा। ऐसे में सिलाई, काज, तुरपाई से जुड़ा हर परिवार आर्थिक संकट के दौर से गुजरेगा।
बिजनेस हुआ नहीं मदद के नाम पर मास्क बनाकर बांटे
टेलर श्रीकृष्ण परमार ने बताया शादी को लेकर कपड़ों की सिलाई के ऑर्डर मिल चुके थे। कपड़ों की सिलाई भी कर दी, लेकिन लाॅकडाउन के कारण दुकान नहीं खुली। शादियां टल गई, जिससे लोग बने बनाए कपड़े लेने ही नहीं आए। इस कारण काम करने वाले कारीगर भी आर्थिक संकट में आ गए। इसके अलावा लोगों की मदद के लिए 400 मास्क बनाकर नि:शुल्क दे दिए। 78 वर्षीय टेलर पूनमचंद सोनगरा ने बताया इतने सालों में पहली बार टेलर समाज पर इस प्रकार का संकट आया है। इसमें सिलाई से जुड़े सारे परिवार परेशानी में आ गए। सीजन नहीं चलने से हमारी जेब भी लाॅक हो गई।
110 से ज्यादा सूट के थे ऑर्डर
टेलर अब्दुल रजाक ने कहा सीजन में होने वाली 110 से अधिक शादी के लिए दूल्हों के सूट बनाने का ऑर्डर मिला था। शादियां नहीं होने से बने हुए सूट दुकान में ही धरे रह गए। ग्राहक अब कह रहे हैं कि शादी तय होगी, तब ले जाएंगे। दुकान पर काम करने वाले आठ-दस कारीगर भी आर्थिक परेशानी में आ गए। प्रकाश पालीवाल के मुताबिक लॉकडाउन के कारण ग्राहक अब कपड़े लेने नहीं आ रहे हैं। ऐसे में अब सीजन समाप्त हो गया है। साल कैसे चलाएंगे यह बड़ा सवाल है।
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