गुजरात से गिरफ्तार हुए 64 मामलों के आरोपी जीतू उर्फ जितेंद्र सोनी ने पुलिस को बताया है कि 30 नवंबर को माय होम पर दबिश के बाद वह नौलखा से स्लीपर बस में बैठा और राजकोट गया। वहां से इंदौर में हो रही पुलिस, प्रशासन की हर गतिविधि की जानकारी लेता रहा। शुरुआत में खुद की सोने की चेन, अंगूठी बेचकर काम चलाया फिर, गुजरात, महाराष्ट्र में कारोबारियों, बुकियों, रिश्तेदार, दोस्तों के जरिए छिपने की व्यवस्था की। पहले भाइयों को सुरक्षित जगह ठहराया, फिर परिवार के अन्य लोगों की व्यवस्था की और खुद भूमिगत हो गया।
पुलिस की कार्यप्रणाली का जानकार होने से जीतू ने भागने के तुरंत बाद मोबाइल संपर्क तोड़ लिए। ड्राइवर को भी कुछ समय बाद अलग भेज दिया। इधर, क्राइम ब्रांच ड्राइवर की लोकेशन से पश्चिम बंगाल और दक्षिण भारत तक पहुंच गई। जीतू ने पूछताछ में कहा कि 6 माह की फरारी में उसने कई तनाव झेले। उसके होटल, अखबार व अन्य संस्थानों को जमींदोज किया, जिससे आर्थिक रीढ़ टूट गई। इधर, परिवार के सदस्य आरोपी बनने लगे तो पारिवारिक कलह होने लगी। कई बार तो परिवार के सदस्यों के तनाव के कारण उसने खुद को जिम्मेदार मान सुसाइड की ठान ली। जीतू ने कबूला कि वह विदेश भागने की तैयारी में था, लेकिन लुक आउट सर्कुलर (एसओसी) जारी होने से नहीं जा सका।
हवालात में कंबल पर लेटा पर सो नहीं पाया
जीतू को महिला थाने की सेल में रखा है व कैमरों से निगरानी की जा रही है। उसे कैदी की तरह फर्श पर कंबल डालकर लेटाया, रातभर उसे नींद नहीं आई। खाना भी कैदियों वाला दिया। सुबह परिवार से जुड़े एक युवक ने नाश्ता लाकर दिया।
कोरोना टेस्टभी करवाया
जीतू का कोविड टेस्ट भी हुआ। उसे पकड़ने वाले पुलिस जवानों की भी जांच करवाई गई है।
200 से ज्यादा लोगों से पूछताछ, रिश्तेदारों-ज्वेलर्स से बात के बाद मिला जीतू
फरार से गिरफ्तार होने तक की पूरी कहानी
1.60 लाख के इनामी जीतू की तलाश में पुलिस ने लगातार काम किया, पर सफलता 212 वें दिन मिली। इस अभियान की कमान क्राइम ब्रांच एएसपी राजेश दंडोतिया के पास थी। 46 लोगों की टीम ने फील्ड में और 6 ने इंदौर से पूरे अभियान डांसिंग इन डॉर्क को कंट्रोल किया। भास्कर ने 30 नवंबर से 28 जून तक के इस अभियान की पड़ताल की।
ड्राइवर की लोकेशन से द. भारत में चली खोज
जीतू के फरार होने के बाद ड्राइवर की लोकेशन से क्राइम ब्रांच की टीम केरल,ओडिशा, तेलंगाना और आंध्र गई पर कोई इनपुट नहीं मिला। इसके बाद पश्चिम बंगाल, नेपाल में भी जांच की। दिल्ली में एक प्रदर्शन और सुप्रीम कोर्ट में आवेदन से सुराग लगा कि जीतू मप्र या आसपास ही है।
कारोबारियों और कई ज्वेलर्स से बैठक
गुजरात का पता चलने के बाद दंडोतिया ने अहमदाबाद, सूरत व राजकोट के कुछ ज्वेलर्स व कारोबारियों से संपर्क किया। इनसे ज्यादा कुछ नहीं मिला। फिर जीतू के 200 से ज्यादा रिश्तेदार, परिचित, कारोबारी मित्रों से पूछताछ की। इसके बाद तकनीकी (साइबर) काम हुआ। इससे कई इनपुट मिले।
पत्नी और बहू के पास भी पहुंची टीम
अफसरों ने दो बार टीम को बदला। 24 जून को पांच जगह छापे मारे, पर जीतू भाग निकला। राजकोट में एक घर में जीतू की पत्नी और बहू मिली। ये दोनों बहुत साधारण स्थिति में रह रही थीं। इनसे पूछताछ की। इसके बाद राजकोट के बुकी राकेश पोपट और एक अन्य जगह दबिश दी गई।
देशी स्टाइल में रैकी और रात में द एंड
बड़े भाई महेंद्र के पकड़ाने के बाद तय हो गया कि जीतू गुजरात में ही छिपा है। वह भागने की फिराक में था, पर मौका नहीं मिला। महेंद्र के अलावा पत्नी व बहू से मिली जानकारी से पुुलिस जीतू के ठिकाने तक पहुंच गई। बिना मोबाइल जवानों के साथ रैकी कर देर रात गिरफ्तार कर लिया।
अफसरों का मुख्य सवाल ‘हनी ट्रैप कांड’ के फुटेज किसने दिए
जीतू सोनी से पूछताछ कर रहे अफसरों का मुख्य फोकस ‘हनी ट्रैप कांड’ की वह सीडी और हार्ड डिस्क है, जिसमें जीतू ने कांड में उलझे अफसरों का पूरा रिकॉर्ड रखा था। नगर निगम के सिटी इंजीनियर हरभजन सिंह का वीडियो के साथ खुलासा करने के बाद जीतू कुछ और लोगों के राज उजागर करने की तैयारी में था। अफसर पता कर रहे हैं कि हनी ट्रैप कांड के सारे सबूत इसे किसने दिए। उससे मिली एक-एक जानकारी सीधे डीजीपी को भेजी जा रही है। बताते हैं कि उसकी गिरफ्तारी के बाद हनी ट्रैप कांड में उलझे कई आईएएस, आईपीएस अफसर और राजनेताओं की नींद उड़ी हुई है। वे भी भोपाल से स्थानीय अफसरों से जानकारी ले रहे।
माफिया फिर से न पनपे, पुलिस का सराहनीय काम: कमलनाथ
हमने उन माफियाओं के खिलाफ बड़ा अभियान छेड़ा था, जो 15 वर्षों में भाजपा सरकार में पनपे थे। माफियाओं की गिरफ्तारी पर पुलिस की सराहना करता हूं।
-कमलनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री
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