हाईकोर्ट से अंतरिम आदेश आने के बाद शराब ठेकेदारों ने दुकानें सरेंडर करना शुरू कर दिया है। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर में ठेकेदारों ने शराब दुकानें सरकार को सौंप दी हैं। इसकी जानकारी उन्होंने आबकारी विभाग को भेजे शपथ पत्रों में दी है। हाईकोर्ट ने ठेकेदारों को स्थिति स्पष्ट करने के लिए तीन दिन का मौका दिया था, लेकिन शुक्रवार को जबलपुर, ग्वालियर, इंदौर, भोपाल, मंदसौर, नीमच, रतलाम, उज्जैन, देवास, छिंदवाड़ा, कटनी, रीवा आदि शहरों के ठेकेदारों ने शपथ पत्र सौंप दिए। इन्हीं शहरों से 67 फीसदी राजस्व आता है।
8 जून के बाद स्थिति तय होगी
-राजीव दुबे, आबकारी आयुक्त के मुताबिक, हाईकोर्ट के निर्देश के अलावा किसी डायरेक्शन का कोई मतलब नहीं है। शराब दुकानों पर 8 जून के बाद स्थिति स्पष्ट होगी। शासन सभी तरह की स्थितियों से निपटने के लिए तैयार है।
शराब ठेकेदारों ने 10460 करोड़ में से 7200 करोड़ की दुकानें छोड़ी
- कुल टेंडर हुए : 10460 करोड़ रु.
- दुकानें छोड़ीं : 7200 करोड़ रु.
- दुकान चलाएंगे : 33 प्रतिशत
चार बड़े शहर
- भोपाल, इंदौर, ग्वालियर,जबलपुर- 3 हजार करोड़
कुल दुकानें
- देशी -2544
- विदेशी- 1061
राजस्व-सरकार को नुकसान-
- मार्च-653
- अप्रैल-1029
- मई-900 करोड़
- 33 फीसदी दुकानों से खजाने में आए
- मई-150 करोड़
सरकार के पास दो विकल्प
- आबकारी विभाग से दुकानें चलवाए
- नए सिरे से टेंडर जारी कर दुकानें नीलाम करे।
कुछ जिलों में दुकानें चालू
सीहोर, राजगढ़, विदिशा, रायसेन, बैतूल, आगर, शाजापुर, टीकमगढ़ और पन्ना में ठेकेदार दुकानें खोलने को राजी हैं। ये लोग नई पॉलिसी में रिन्यूवल वाले हंै। खरगोन में लॉकडाउन खुलने के बाद से ही ठेकेदार हाथ खड़े कर चुके हैं। ऐसे में यहां दुकानें आबकारी विभाग ही चला रहा है। अब हाईकोर्ट में 17 जून फैसला देगा।
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