शिवराज कैबिनेट के 33 सदस्यों के मंत्रिमंडल में सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे की भागीदारी 42 फीसदी है पर विभागों के वितरण के बाद उनके हिस्से में 27 प्रतिशत सालाना बजट आया। हालांकि कुछ बड़े विभाग उनके खाते में जरूर गए। भाजपा के पास 107 विधायक हैं, जबकि सिंधिया के साथ 22 विधायक रहे जो भाजपा में शामिल हुए। इस हिसाब से भाजपा के संख्या बल को देखें तो मंत्रिमंडल में उनका प्रतिशत 57 है।
सिंधिया व कांग्रेस से भाजपा में आए खेमे का प्रतिशत 42 हो गया है। वर्ष 2019-20 का बजट दो लाख 14 हजार 85 करोड़ रुपए रहा। इसमें से भाजपा के पास एक लाख 56 हजार 915 करोड़ राशि के बजट आए। सिंधिया खेमे के पास 57 हजार 170 करोड़ के विभाग गए। साफ है कि मंत्रिमंडल विस्तार के बाद 12 दिन तक चली रस्साकसी में सांसद सिंधिया ने आगे निकले। सरकार को राजस्व देने वाले दो अहम विभाग परिवहन और राजस्व भी उनके खाते में गए। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष के जरिए सिंधिया ने प्रदेश में निर्णय कराए। विभागों के वितरण में यह जरूर है कि सिंधिया की शाह से लेकर नड्डा और बीएल संतोष से कई बार बात हुई।
हम लोगों के लिए सौ बहाने, बाहर से आए लोगों को पद : हीरेंद्र सिंह
कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए नेताओं के निगम-मंडलों में अध्यक्ष पद दिए जाने पर भाजपा के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य हीरेंद्र बहादुर सिंह ने सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह से भाजपा में बाहर के लोग आधिपत्य जमाते जा रहे हैं, अब असली भाजपा कार्यकर्ता क्या करें? नियुक्तियां भी धड़ाधड़ हो रही हैं। भाजपा में कोई शीर्ष नेता मार्गदर्शन करने के लिए बचा है क्या? हम लोगों के लिए सौ-सौ बहाने हैं। अब तो दुख-दर्द पूछने वाला भी कोई नहीं।
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