
जिले के बीड़ ग्राम में सुंदरपानी गांव की 20 आदिवासी महिलाएं समर्थन मूल्य पर किसानों से राेज गेहूं खरीदी कर रही हैं। इतने ही पुरुष ट्रकों में गेहूं भरे बाेरे परिवहन के लिए ट्रकों में लाेड कर रहे हैं। लाॅकडाउन के कारण मसनगांव समिति काे गेहूं खरीदी के लिए मजदूरों की दरकार थी। वहीं गांव में फंसे इन मजदूरों काे काम की जरूरत थी। दाेनाें पक्षाें ने हालात व एक दूसरे के जरूरत काे समझा और दाेनाें की समस्या हल हाे गई।
सुंदरपानी की कलाबाई, फूलवती, रमा बाई ने बताया कि वे गांव के अन्य मजदूरों के साथ गेहूं, चना काटने बीड़ आए थे। कटाई के बाद घर वापसी की तैयारी थी। इससे पहले लाॅकडाउन घाेषित हाे गया। इस कारण वे घर नहीं लाैट सके। गांव में ही कैद हाेकर रह गए। महिलाओं ने बताया कि परिवार की चिंता सताने लगी। जाने के साधन नहीं थे। इस बीच गांव में काेई काम भी नहीं था, इसलिए समय काटना मुश्किल हाे रहा था। काम मिलने से राहत मिली है। साथी ही सोशल डिस्टेंस से काम कर रहे।
बन गई बात : हम्मालाें की राशि इन मजदूरों काे मिलेगी
20 महिला मजदूर काम मिलने से खुश हैं। उनके साथ गांव व परिवार के पुरुष भी खुश हैं। महिलाएं बाेराें में गेहूं भरती हैं। ताैल के लिए कांटाें तक बाेरे खींचकर लाती हैं। बाेराें की सिलाई करती हैं। टैग लगाती हैं। वहीं पुरुष ताैल व सिलाई किए बाेरे ट्रकों में चढ़ाते हैं। समिति के अनुसार इन्हें हम्माली की पूरी राशि मिलेगी जाे हम्मालों काे नियमानुसार मिलती है। उनके रहने व भाेजन की व्यवस्था भी केंद्र से नजदीक में ही है।
राेज 12 साै क्विंटल गेहूं का ताैल हाे रहा है
गांव से गेहूं चना काटने 40 मजदूर आए थे। इनमें 20 महिलाएं 20 पुरुष हैं। लाॅकडाउन के कारण वे गांव में फंसे थे। समिति काे गेहूं खरीदी के लिए मजदूरों की जरूरत थी। मजदूरों काे काम चाहिए थे। सहमति व तय शर्तों के बाद खरीदी शुरू हाे गई। राेज 12-14 साै क्विंटल गेहूं ताैल हाे रहा है। 8-9 साै क्विंटल का परिवहन हाे रहा है।
-अखिलेश पाटिल, सहा. समिति प्रबंधक, मसनगांव
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