स्वच्छ सर्वे-2020 में इस बार भोपाल को सेल्फ सस्टेनेबल स्टेट कैपिटल का अवाॅर्ड मिला है। दस लाख से अधिक आबादी वाले शहरों की अपनी श्रेणी में भोपाल को सातवां नंबर मिला है। पिछली बार भोपाल को सर्वे में 19 वां नंबर मिला था। यानी एक साल में 12 पायदान की छलांग लगाई है। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने वेबकास्ट के जरिए आयोजित कार्यक्रम में यह अवाॅर्ड दिया।
बांस से ट्री गार्ड, गोबर से गमले और सीवायओबी जैसे प्रयोगों के कारण प्लास्टिक कचरे में कुल 25 टन रोजाना की कमी ने भोपाल को बेस्ट सेल्फ सस्टेनेबल स्टेट कैपिटल का अवार्ड मिला है। कैरी योअर ओन बैग और ओन बॉटल (सीवायओबी) जैसे प्रयोगों के कारण प्लास्टिक कचरे की मात्रा 115 टन से घटकर 90 टन रह गई। रोजाना 10 टन मिलने वाली पॉलीथिन 6 टन तक रह गई है।
रिड्यूस... रियूज व रिसाइकिल के साथ भोपाल ने रिडिस्ट्रिब्यूट भी जोड़ा
स्वच्छ सर्वे में थ्री आर यानी... रिड्यूस, रियूज और रिसाइकिल कंसेप्ट दिया गया था। भोपाल ने इसमें एक आैर रिडिस्ट्रिब्यूट भी जोड़ा। पुरानी किताबें जो रद्दी के जरिए कचरे में जातीं उन्हें कलेक्ट कर निगम की लाइब्रेरी तक पहुंचाया गया। गणेश और दुर्गा प्रतिमाओं के बांस के ट्री गार्ड बना कर डिस्ट्रिब्यूट किए गए। इसके साथ ही गोबर से गमले बनाने, पत्तियों से कम्पोस्ट, मैरिज गार्डन जैसे बल्क वेस्ट जनरेटर के स्पॉट पर ही कम्पोस्ट बनाने जैसे प्रयोगों की भी सराहना की गई। फ्लेक्स और बैनर के थैले बनाकर कचरा कलेक्शन के लिए उपयोग। इन सबसे भोपाल का मॉडल सेल्फ सस्टेनेबल है।
कचरे की प्रोसेसिंग और सीवेज ट्रीटमेंट पर रहेगा फोकस
अगले सर्वे के लिए कचरे की प्रोसेसिंग और सीवेज ट्रीटमेंट फोकस है। आदमपुर छावनी में प्रोसेसिंग और उससे सीएनजी निर्माण पर काम कर रहे हैं। दिसंबर यानी सर्वे के पहले तक कम से कम पांच एसटीपी तैयार हो जाएंगे। शेष को हम कम्प्लीशन तक लाने की कोशिश करेंगे।
वीएस चौधरी कोलसानी, निगमायुक्त
मोटिवेशन, को-ऑपरेशन और इनोवेशन से भोपाल 7वें नंबर पर
जब मैंने भोपाल नगर निगम में कमिश्नर का पद संभाला उसी समय स्वच्छ सर्वे -2019 के डायरेक्ट ऑब्जरवेशन की टीम भोपाल आई थी। पारिवारिक वजह से मुझे गृह नगर जाना पड़ा। जब रिजल्ट आया तो हम दूसरे से 19वें नंबर पर थे। रैंकिंग में इस गिरावट से टीम निराश थी। हमने टीम को मोटिवेट करने के लिए दरोगा और एएचओ को अवाॅर्ड देना शुरू किए। स्टाफ पर लगने वाले वसूली के आरोप से निपटने के लिए हमने पीओएस मशीनें दीं। कई वर्षों बाद कामगारों को बरसाती व यूनिफाॅर्म मिली। दरोगाओं को वाहन दिए। भोपाल में हमने जितने इनोवेशन किए, इतने देश में कहीं नहीं हुए होंगे। यह सब तब किया जब लोकसभा चुनाव के कारण हमें समय कम मिला। यहां अब सफाई का एक सिस्टम बन गया है। अगली बार भोपाल सबसे स्वच्छ 5 शहरों में स्थान पा सकता है।
बी विजय दत्ता,
तत्कालीन कमिश्नर, नगर निगम
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