8 दिन पहले जिला अस्पताल में भर्ती एक 60 वर्षीय वृद्धा की मौत के मामले में जिला अस्पताल के डॉक्टर्स पर कार्रवाई का सिलसिला शुरु हाे गया है। शुरुआत सिविल सर्जन डॉ. विक्रमसिंह तोमर से हुई है। उनका तबादला आदिवासी अंचल के उमरिया जिले में कर दिया गया है। जबकि इसी मामले में अस्पताल के मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. अमिताभ जैन व आरएमओ डॉ. विपिन खटीक के खिलाफ भी कार्रवाई की तलवार लटक गई। शनिवार को इस मामले में डॉ. जैन को आरोप-पत्र थमाया गया है। कार्यालय आयुक्त, मप्र स्वास्थ्य सेवाएं, भोपाल ने डॉ. जैन को 15 दिन में अपना जवाब देने को कहा है। अन्यथा की स्थिति में उनके खिलाफ एकतरफा कार्रवाई की जाएगी। सिविल सर्जन का प्रभार डॉ. आरडी गायकवाड़ को दिया गया है।
प्रारंभिक जांच में तीनों डॉक्टरों पर लापरवाही के अारोप मामला 22 जून का है। एक 60 वर्षीय वृद्ध महिला को न्युमोनिया समेत अन्य तकलीफों के चलते जिला अस्पताल में एडमिट किया गया था। आरोप है कि इस महिला के उपचार से लेकर उसकी मौत के बाद तक अलग-अलग स्तर पर लापरवाही बरती गई। अपर कलेक्टर अखिलेशकुमार जैन एवं सीएमएचओ डॉ. इंद्राजसिंह ठाकुर द्वारा लिए गए बयानों में मुख्य रूप से डॉ. जैन, डाॅ. तोमर और डॉ. खटीक की अलग-अलग चूक मिली हैं। जो इस प्रकार हैं-
डॉ. अमिताभ जैन, मेडिसिन विशेषज्ञ- डॉ. जैन पर आरोप है कि बाइसा मुहाल निवासी ये महिला केजुएल्टी वार्ड में 21 जून को इलाज के लिए आई थी। उस दिन दोपहर करीब 12 डॉ. जैन ने इस महिला को देखा। उसकी सीटी स्केन कराने की सलाह दी। फेंफड़े में इनफेक्शन होना पाते हुए इस महिला को अगले दिन शाम 4 बजे आइसोलेशन वार्ड में शिफ्ट करा दिया। जहां करीब घंटे भर बाद 4.50 पर इस महिला की मौत हो गई। चूंकि महिला की हालत गंभीर थी और उसके लक्षण कोविड पाॅजिटिव के थे, इसके बावजूद डॉ. जैन ने न तो उसका सेम्पिल लिया और न ही केस शीट पर इसका कोई जिक्र किया। इसी तरह मरीज का एक्स-रे भी अगले दिन 22 जून को सुबह 11 बजे कराया गया लेकिन एक्स-रे रिपोर्ट पर उसका समय दर्ज नहीं है। डॉ. जैन अगर 21 जून को ही एक्स-रे व कोविड का सेम्पिल ले लेते तो उसे उचित इलाज दिया जा सकता था।
डाॅ. तोमर, सिविल सर्जन व डॉ. खटीक, आरएमओ-सीएस व आरएमओ पर आरोप है कि उन्होंने अस्पताल की उपचार व्यवस्था को सही ढंग से मॉनीटर व संचालित नहीं किया। उदाहरण के लिए गंभीर स्थिति में आई इस महिला का एक्स-रे और कोविड सेम्पिल अगले दिन लिया गया। वह भी उसकी मौत से मात्र 50 मिनट पहले। इसके साथ ही जो पैरामेडिकल स्टाफ इस महिला के उपचार में शामिल था, उसे न तो आइसोलेटेड और न ही कोरंटाइन किया गया।
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