हर बार राखी पर बाजारों में खरीदारी की भीड़, पोस्ट ऑफिस व कोरियर पर राखी भेजने वाली बहनों की कतारें लगी रहती है। इस बार कोरोना के चलते रौनक नजर नहीं आ रही है। कई बहनों ने मायके जाने की बजाए भाइयों को फोन पर ही शुभकामनाएं देने का मन बनाया है, बल्कि राखी के लिफाफे के जरिए संक्रमण भाई या उसके परिवार तक न पहुंच जाए, इस डर से कई बहनों ने डाक या कोरियर से राखी भेजने से भी परहेज कर लिया है। इधर, आवागमन के साधन नहीं होने से अपनी बहनों को नहीं ला पा रहे हैं। खासकर दूरस्थ स्थानों पर आने-जाने में हजारों रुपए का खर्च आ रहा है।
हर साल राखी को लेकर महीने भर पहले याेजना बन जाती है। भाई अपनी बहनों को लेकर आ जाते हैं, लेकिन इस बार लॉकडाउन ने सारी प्लानिंग बदल दी है। कोरोना के चलते आवागमन के साधन रेल व बसें बंद हैं। बाजार में भी गिनी-चुनी दुकानें लगी है, लेकिन बहनों के नहीं आने से दुकानों पर चहल-पहल न के बराबर नजर आ रही है। संक्रमण न फैले इसलिए कुछ बहिनें घर पर ही भाई की कलाई को सजाने के लिए राखी बना रही है। भाई भी अपनी बहन की रक्षा व उसे संक्रमण से बचाने के लिए दूरदराज से लाने में परहेज कर रहे हैं। ऐसे में इस बार ज्यादातर भाइयों की कलाई सुनी रह सकती है। इधर, डाक व कोरियर में भी इस बार राखियों के पार्सल में 30 फीसदी गिरावट आई है।
त्योहार मनाएं, खुशियां बरकरार रखें, लेकिन सावधानी बरतें- संक्रमण के चलते जहां एक तरफ लोगों में डर है, वहीं कुछ भाई-बहन सावधानी के साथ त्योहार की खुशियां बरकरार रखने की तैयारी कर रहे हैं। प्रशासन ने भी यही अपील की है। एसडीएम डॉ. योगेश भरसट ने कहा कि भाई और बहनें प्रयास करें कि रक्षाबंधन के त्योहार पर भी मास्क व जरूरी डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा जाए, ताकि भाई या बहन का परिवार संक्रमण से बच सके।
साधन नहीं होने से बहनों को लाना पड़ रहा महंगा
लॉकडाउन के बाद से बसें व ट्रेनें बंद है। दूर का सफर निजी वाहनों से करना महंगा साबित होता है। इससे भाई बहनों के बीच दूरी बनी हुई है। रामनिवास नवहाल शर्मा ने बताया बहन महाराष्ट्र में रहती है। पहले लाने ले जाने के लिए कई साधन थे, लेकिन लाॅकडाउन में सभी साधन बंद हो गए हैं। निजी वाहन से 1000 से 1200 किमी का सफर करना मुश्किल है। ऐसे में इस बार बिना बहन से मिले ही राखी मनाना पड़ेगी।
न बसें, न ट्रेन, बाजार में भी दुकानें लगी कम
नगर के बस स्टैंड से रोज करीब 70 बसें चलती थी, जो फिलहाल बंद हैं। रेलवे स्टेशन से करीब 10 ट्रेन अप-डाउन लाइन पर चलती थी। जहां अब एक भी ट्रेन नहीं चल रही है। आम दिनों में इन संसाधनों से करीब तीन हजार लोग सफर करते थे, लेकिन अब साधनों के अभाव में आवागमन बंद पड़ा है। कुछ किलोमीटर का सफर लोग बाइक से कर रहे हैं। वहीं लंबे रूट की आवाजाही टाल रखी है। बाजार में भी राखी की 40 से 50 दुकानें व ठेलागाड़ी लगती थी। इस बार ग्राहकी के अभाव में 15-20 दुकानें ही लगी है। छोटे दुकानदारों ने माल ही नहीं मंगवाया।
आखिरी समय में आया आदेश, दुकानें खुली पर ग्राहक नहीं पहुंचे एक दिन पहले पता चल जाता तो व्यापार दोगुना से ज्यादा होता
भास्कर संवाददाता | खाचराैद
रक्षाबंधन के 1 दिन पहले रविवार होने की वजह से नगर में पूरी तरह से लॉकडाउन की घोषणा की गई थी। इसके चलते व्यापारी नाराज थे। विशेषकर राखी व मिठाई की दुकान वाले मायूस हो गए थे, क्योंकि अगर मिठाई बच जाती है ताे खराब होने का डर रहता है। वहीं राखी सिर्फ रक्षाबंधन पर ही बिकती है, जिसे लेकर दोनों व्यापारियों ने प्रशासन से छूट देने की गुहार लगाई थी। रविवार दोपहर करीब 2 बजे बाद राखी व मिठाई की दुकान खोलने की छूट दी गई। इस पर दुकानदारों ने दुकानें खोली, लेकिन अचानक अादेश हाेने से आसपास के ग्रामीण लोग नहीं पहुंच पाए। इससे अनुमान के अनुसार ग्राहकी नहीं हो पाई। नगर में मुनादी भी लेट हो पाई, जिसके चलते कई व्यवसायियों काे जानकारी देरी से मिली अाैर उन्होंने लेट दुकान खोली। हालांकि स्थानीय ग्राहकी मिठाई की दुकानों पर शाम तक प्रारंभ हो गई थी। इसके चलते मिठाई दुकानदारों की थोड़ी मिठाई बिकने से राहत की सांस ली। हालांकि मुख्य रूप से बिकने वाले घेवर दुकानदारों ने लॉकडाउन की वजह से कम बनाए। इसके चलते कई दुकानों पर घेवर खत्म हो गए।
सभी व्यवसायी बाेले- प्रशासन ने निर्णय देरी से लिया
मिठाई व्यवसायी अमित गेलड़ा बाेले- प्रशासन एक दिन पहले निर्णय लेता ताे व्यवसाय ज्यादा बेहतर होता। रविवार बंद हाेने से राखी पर मुख्य रूप से बिकने वाले घेवर कम ही बनाए। ऐन वक्त पर दुकान खोलने की घोषणा के बाद दुकान पर पड़े घेेेवर शाम तक बिक गए। सौरभ वागरेचा बताते हैं कि घेवर बनने में समय लगता है और राखी पर मुख्य रूप से मिठाई के रूप में घेवर ही बिकते हैं, जो तुरंत नहीं बनाए जा सकते हैं। दोपहर बाद मुनादी करने से विशेष फायदा नहीं हो पाया। हां कुछ मिठाई जरूर बिकी है, लेकिन एक दिन पहले पता चल जाता तो हम उस हिसाब से तैयारी करके रखते। मिठाई दुकान संचालक मुकेश अरोड़ा ने बताया कि राखी पर हमारा मुख्य व्यवसाय घेवर ही रहता है। अन्य मिठाई हम बहुत कम मात्रा में बनाते हैं, इस बार कोरोना के चलते पहले से ही कम बनाए थे। फिर एक राखी के एक दिन पहले लॉकडाउन का सुनकर हमने हाथ रोक लिया था। दोपहर बाद मुनादी होने पर थोड़े बहुत घेवर रखे हुए थे, वह बेच पाए।
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