कोरोना संक्रमितों को अस्पताल में भर्ती करने में लापरवाही बरती जा रही है। ताजा मामला नारायण विहार कॉलोनी का है। यहां रहने वाला एक युवक की कोरोना की रिपोर्ट 19 अगस्त को पॉजिटिव आई। इसके बाद युवक रात करीब 11 बजे तक एंबुलेंस आने का इंतजार करता रहा, लेकिन जब एंबुलेंस नहीं आई तो नगर निगम के एक अधिकारी ने उन्हें बिना पीईपी किट पहने ही ऑटो से श्रमोदय ले जाकर भर्ती कराया गया। इस मामले की शिकायत हिंदू सेना के प्रवक्ता अमित गुप्ता ने सीएमएचओ से की है। मरीज ने बताया कि नगर निगम के अधिकारी श्री भदौरिया उसे ऑटो में लेकर आए थे वह न तो मास्क पहने थे और न ही पीपीई किट। इस मामले को लेकर हिंदू सेना के प्रवक्ता अमित गुप्ता ने सीएमएचओ से शिकायत की और कहा कि इस तरह से कोरोना संक्रमण कम होने की बजाय और फैलेगा। इसलिए मरीजों को एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचाने की व्यवस्था की जाए।
.कोरोना पॉजिटिव के परिजन और मोहल्ले के लोगों के सैंपल लेने से कतरा रहे अफसर
ग्वालियर| कोरोना पॉजिटिव होकर अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों को बिना जांच के घर भेजा जा रहा है। ऐसा ही मामला तानसेन नगर में हुआ। यहां रेलवे के डिप्टी एसएस कोरोना संक्रमित निकले थे। जब वह पॉजिटिव आए थे तब उन्होंने इंसीडेंट कमांडर से अपनी पत्नी का सैंपल करने के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने यह कहकर सैंपल नहीं लिया कि पांच दिन बाद सैंपल होगा। डिप्टी एसएस इलाज कराकर हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होकर तीन दिन पहले घर पहुंच गए। जब उन्हें घर भेजा गया तो उनका दोबारा सैंपल नहीं कराया गया। उनसे पांच दिन घर पर ही क्वारेंटाइन रहने के लिए कहा गया। दो दिन बाद इंसीडेंट कमांडर सैंपलिंग के लिए टीम लेकर उनके घर पहुंच गईं। डिप्टी एसएस ने पत्नी का सैंपल कराने के साथ अपना सैंपल लेने के लिए भी आग्रह किया लेकिन टीम ने उनका सैंपल नहीं कराया। इसी तरह शिंदे की छावनी स्थित अलीजा बाग में एक युवती के पॉजिटिव मिलने के दो दिन बाद भी न तो उनके अन्य परिजन के सैंपल कराए गए और न ही मोहल्ले में सैंपलिंग के लिए टीम पहुंची। प्रशासनिक अफसरों ने मुख्यमंत्री के दौरे की आड़ लेकर कोरोना से जुड़े कामकाज से हाथ खींच लिए हैं। यह हालत तब है, जब शहर में कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
सीएमएचओ बोले- मरीज को भर्ती कराने की जिम्मेदारी इंसीडेंट कमांडर की
मामले में सीएमएचओ डॉ. वीके गुप्ता का कहना है कि मरीज को भर्ती कराने की जिम्मेदारी इंसीडेंट कमांडर की है। मरीज को कोरोना होने पर एंबुलेंस की जगह ऑटो में अगर भेजा गया है तो मैं इसकी पूरी जानकारी लेकर प्रशासनिक अधिकारियों को मामले से अवगत कराऊंगा। मरीज एंबुलेंस से ही भर्ती होना चाहिए। डिप्टी एसएस के सैंपल होने के मामले उन्होंने कहा कि नई गाइड लाइन में दोबारा सैंपल नहीं होगा। लेकिन जब उनसे पूछा गया कि कोरोना से मरने वाले मरीज को निगेटिव दिखाने के लिए सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में गंभीर मरीजों के दोबारा सैंपल क्यों कराए जा रहे हैं तो उन्होंने इस बारे में कुछ भी कहने से मना कर दिया।
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