जिले में कोरोना की पिछले तीन महीने में स्थिति देखें तो मरीजों की संख्या तो लगातार बढ़ रही है लेकिन उनके मल्टीप्लाय (गुणित) होने की गति धीमी हुई है। अप्रैल में हमारे यहां 13 दिन के अंतराल में कुल 5 मरीज मिले और वे पांचों स्वस्थ हो गए। संक्रमण का प्रकोप मई में बढ़ा। तब औसतन 5 दिन में मरीजों की संख्या दोगुनी हो रही थी। यानी गति तेज
थी। जून में मरीज तो तेजी से बढ़े हैं लेकिन दोगुने उतनी तेजी से नहीं हो रहे। 4 जून को 200 मरीज थे। 27 जून को 336 यानी 23 दिन में भी दोगुने नहीं हुए। तेजी से फैलने वाले कोरोना को लेकर यह राहत की बात हो सकती है लेकिन रिकवरी के आंकड़े देखें तो उसमें भी यही ट्रेंड दिखता है। यानी दोगुने का गणित देखा जाए तो रिकवरी की गति भी धीमी पड़ी है। मई में जहां औसतन 2-3 दिन में दोगुने मरीज स्वस्थ हो रहे थे, अब 23 दिन में भी ऐसा नहीं हो पा रहा है। इस पूरे गणित में 4 जून सबसे महत्वपूर्ण तिथि बनकर उभर रही है। इस दिन शहर में पॉजिटिव मरीजों का आंकड़ा 200 पर था और 27 जून तक 336 मरीज हो गए हैं। वहीं रिकवरी रेट की बात करें तो 4 जून को ही रिकवरी रेट अब तक सबसे अधिक यानी 75% तक पहुंचा है। इसके बाद से रिकवरी रेट में भी गिरावट है।
अप्रैल में एक से दो मरीज होने में लगे थे 8 दिन
वहीं अप्रैल माह की बात करें तो पहले पॉजिटिव से दूसरे पॉजिटिव को ढूंढने में 8 दिन का समय लगा था। जबकि 2 से 4 होने में महज 5 दिन लगे। लेकिन इसके बाद 10 मई तक रफ्तार थमी रही। 17 मई को 10 से 21 पॉजिटव हुए और महज 8 दिन में 10 गुना यानी 201 तक पहुंच गए। इसी तरह रिकवरी रेट भी मई के अंतिम सप्ताह में एकदम से बढ़ा। मई की शुरुआत में जहां 3 से 6 मरीज डिस्चार्ज होने में 12 दिन लगे, वहीं 24 मई से हर दो दिन में रिकवरी रेट डबल होता चला गया। 4 जून की स्थिति में रिकवरी रेट अब तक सबसे अधिक 75% था।
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