भोपाल के आम की मिठास बढ़ने वाली है। वजह- प्री मानसून बारिश। विशेषज्ञ कहते हैं जल्द व ज्यादा हाे रही इस बारिश से वातावरण ही नहीं, भोपाल के आम को भी फायदा होगा। आम स्वादिष्ट हाे जाएंगे। इसकी वजह यह है कि इनमें अब टाेटल साॅल्यूबल साॅलिड यानी टीएसएस व शुगर कंटेंट्स की मात्रा बढ़ जाएगी। एक बड़ा फायदा यह भी हाेगा कि अब आमाें की एक साथ सभी वैरायटी बाजार में आ जाएंगी।
ईटखेड़ी स्थित फल अनुसंधान केंद्र के बगीचे के आम दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। इस बगीचे की दहीयर वैरायटी की मांग सऊदी अरब, पाकिस्तान, दुबई समेत अन्य देशाें में भी है। फल अनुसंधान केंद्र के चीफ सांइटिस्ट डाॅ. एमएस परिहार बताते हैं कि शहर के सबसे पुराने बगीचाें में शुमार इस बाग में 25 से ज्यादा वैरायटी के आम हैं।
18 एकड़ में फैले बगीचे में आम के 500 पेड़ हैं। यहां के दहीयर आम की मांग विदेशाें में सबसे ज्यादा है। बगीचे में 58 साल पुराने कुछ पेड़ भी हैं। इस बार ज्यादा ठंड पड़ने के कारण आम के पाैधाें में बाैर देर से आए थे। कुछ वैरायटी लेट हुईं, लेकिन अब अरली और लेट दाेनाें वैरायटी के अाम एक साथ बाजार में आ जाएंगे। विशेषज्ञ कहते हैं काेराेना से बने हालात के कारण एक्सपाेर्ट पर असर हाेगा। मांग के बावजूद यह विदेशाें में नहीं पहुंच पाएगा।
खास बात यह भी...यहां के आम दुनियाभर में प्रसिद्ध
- प्रमुख वैरायटी- दहीयर, आम्रपाली, चाैसा, लंगड़ा, मल्लिका, ताेतापरी, फजली, करेला, कावासिया पटेल।
- दहीयर आम- यह किलाे से नहीं, बल्कि नग से बिकता है। दुनियाभर में दहीयर आम प्रसिद्ध है।
- वजन- एक फल का वजन 50 से 100 ग्राम तक हाेता है। 13 से 24 रुपए तक का एक नग पड़ता है।
डाॅ. परिहार ने बताया कि हर साल यहां औसतन 400-500 क्विंटल पैदावार हाेती है। हर साल 150 से 200 किलाे एक्सपाेर्ट हाेता है।
आमाें के प्राकृतिक ताैर पर पकने की रफ्तार बढ़ती है
- याेगेश द्विवेदी, एक्सपर्ट, सीईओ मध्य भारत कंसाेर्टियम के मुताबिक, बारिश के बाद नमी बढ़ती है ताे आम के फलाें में शुक्राेश का फॉर्मेशन तेजी से हाेने लगता है। इनमें नेचुरल इथीलिन गैस हाेती है, यह भी तेजी से बनने लगती है। इसके कारण आमाें के प्राकृतिक ताैर पर पकने की रफ्तार भी बढ़ती है और स्वाद भी बढ़ जाता है।
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