यदि आप छोटे बच्चे काे डॉक्टर के पास लेकर जाते हैं... और डॉक्टर बच्चे को चॉकलेट, नारियल तेल या फ्लेवर्ड मिल्क सूंघाते हैं तो चौंकिएगा मत। दरअसल, सरकार ने सूंघने की क्षमता में कमी और स्वाद क्षमता में कमी को भी कोरोना के लक्षणों में शामिल किया है, लेकिन बच्चों में इसका पता लगाना बहुत मुश्किल होता है।
राज्य स्तरीय तकनीकी सलाहकार समिति ने सोमवार को कलेक्टर व सीएमएचओ को कोरोना के मरीजों के मैनेजमेंट को लेकर निर्देश दिए हैं। इसी के तहत अब यदि बच्चों के माता पिता कोरोना पॉजिटिव रहते हैं, और बच्चे निगेटिव आते हैं तो बच्चों को बिना लक्षण वाले या कम लक्षण वाले पॉजिटिव माता या पिता के साथ होम आइसोलेशन में रखा जाएगा। यदि ऐसा संभव नहीं हो सकता है तो माता या पिता के साथ अलग से आइसोलेशन वार्ड में रख सकते हैं।
कोरोना टेस्ट को लेकर कोई इमरजेंसी ऑपरेशन ना टले
समिति ने कहा है कि इमरजेंसी केस में कोरोना टेस्ट के अभाव में किसी भी शल्य क्रिया को लंबित ना किया जाए। तत्काल रिपोर्ट लेने के लिए रैपिड टेस्ट का उपयोग किया जा सकता है। रैपिड टेस्ट पॉजिटिव आने पर कोरोना पॉजिटिव ही माना जाएगा। दोबारा जांच से पुष्टि करने की जरूरत नहीं होगी।
कैंसर, एचआईवी रोगियों का करें रैपिड टेस्ट
संवेदनशील समूह कीमौथेरेपी के मरीज, रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी वाले, एचआईवी, ट्रांसप्लांट के मरीजों में ज्यादा रिस्क को ध्यान में रख लक्षण रहित होने पर भी रैपिड टेस्ट की बात कही है। वहीं, ऑक्सीजन सपोर्ट की आवश्यकता वाले मध्यम या गंभीर लक्षण वाले पॉजिटिव के उपचार के लिए मेडिकल कॉलेज में समिति बनाने का कहा है। समिति ही फैसला लेगी।
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