शहर में हर वर्ष गणेशोत्सव की तैयारियां डेढ़ महीने पहले शुरू हो जाती हैं। बड़ी मूर्तियों के ऑर्डर कलाकारों को दे दिए जाते हैं और पंडाल बनाने के लिए भी तैयारियां शुरू कर दी जाती हैं। लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण की वजह से शहर में गणेशोत्सव के पंडाल नहीं लगाए जाएंगे। कलाकारों को पंडालों में सजने वाली बड़ी गणेश प्रतिमाओं का एक भी ऑर्डर अब तक नहीं मिला है।वहीं छोटी प्रतिमाओं के लिए वह अभी बाजार की हालत देख रहे हैं। कलाकारों का कहना है कि ऐसे हालात में उन्हें रोजी-रोटी के लाले पड़े हैं और ऐसे मेंं उन्हें प्रशासन से मदद की उम्मीद है। कलाकारों की आशंका यह भी है कि अगर नवरात्रि से पहले भी हालात ऐसे ही रहे तो उनके लिए बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा। वहीं वर्तमान हालात को देखते हुए पंडाल लगाने वाली संस्थाओं ने भी अभी इस संबंध में निर्णय नहीं लिया है, लेकिन ऐसे हालात में वह आयोजन नहीं करेंगीं।
हालात ऐसे रहे तो पंडाल नहीं लगेंगे: शहर के पाटनकर बाजार, अचलेश्वर मंदिर, दौलतगंज, महाराज बाड़ा, हजीरा, तानसेन नगर जैसे क्षेत्राें में बड़े पंडाल लगाए जाते हैं। यहां भी अभी तैयारी शुरू नहीं इुई है। पंडा़ल लगाने वाली समितियां दुविधा में है कि वह पंडाल लगाते हैं तो भीड़ इकट्ठी होगी और उसकी वजह से संक्रमण फैला तो परेशानी खड़ी हो जाएगी।
बड़ी प्रतिमाओं के कलाकार बना रहे छोटी प्रतिमाएं
कलाकारों का कहना है कि पंडाल न लगने की स्थिति में उन्हें छोटी प्रतिमाओं से ही उम्मीद है। शहर में बड़ी और छोटी प्रतिमाएं को बनाने वाले भी अलग-अलग हैं। लेकिन अब बड़ी प्रतिमाओं के कलाकार भी छोटी प्रतिमाएं बनाने की तैयारी कर रहे हैं, ऐसे में इस क्षेत्र में प्रतियोगिता बढ़ेगी। कलाकारों का कहना है कि छोटी प्रतिमाओं की संख्या तो नहीं बढ़ेगी, लेकिन जितनी खपत शहर में है, उसके हिसाब से उनके बीच प्रतियोगिता भी बढ़ जाएगी। बड़ी प्रतिमाओं में आर्थिक लाभ ज्यादा हो जाता है, छोटी प्रतिमाओं में मेहनत ज्यादा होती है, लाभ तुलनात्मक रूप से कम होता है।
कलाकारों का कहना है कि पंडाल न लगने की स्थिति में उन्हें छोटी प्रतिमाओं से ही उम्मीद है। शहर में बड़ी और छोटी प्रतिमाएं को बनाने वाले भी अलग-अलग हैं। लेकिन अब बड़ी प्रतिमाओं के कलाकार भी छोटी प्रतिमाएं बनाने की तैयारी कर रहे हैं, ऐसे में इस क्षेत्र में प्रतियोगिता बढ़ेगी। कलाकारों का कहना है कि छोटी प्रतिमाओं की संख्या तो नहीं बढ़ेगी, लेकिन जितनी खपत शहर में है, उसके हिसाब से उनके बीच प्रतियोगिता भी बढ़ जाएगी। बड़ी प्रतिमाओं में आर्थिक लाभ ज्यादा हो जाता है, छोटी प्रतिमाओं में मेहनत ज्यादा होती है, लाभ तुलनात्मक रूप से कम होता है।
यह है मूर्तियों का हिसाब
कलाकारों के अनुसार शहर में 500 से 600 के बीच गणेश पंडाल स्थापित होते हैं और इनमें 5 से 25 फीट तक की प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं। जिनकी कीमत 10 हजार से शुरू होकर 75 हजार तक होती है। इसके अलावा शहर में 70 से 80 हजार तक छोटी प्रतिमाएं घरों में स्थापित की जाती हैं। इनकी कीमत भी 100 से 1500 रुपए तक होती है।
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