इस साल श्रावण मास सोमवार से शुरू होकर सोमवार को ही खत्म हो रहा है। 6 जुलाई से शुरू होकर 3 अगस्त तक चलने वाले श्रावण मास में पांच सोमवार का विशिष्ट योग बन रहा है। श्रावण मास में दो सोमवार को विशेष रूप से अमावस्या और पूर्णिमा पर पड़ रहे हैं। श्रावण मास के सोमवती अमावस्या और सोमवती पूर्णिमा का संयोग 47 साल पहले बना था।
श्रावण मास में पांच सोमवार 6 जुलाई प्रतिपदा, 13 जुलाई अष्टमी, 20 जुलाई अमावस्या, 27 जुलाई सप्तमी, 3 अगस्त पूर्णिमा पर विशेष योग बन रहे हैं। सोमवती अमावस्या औऱ सोमवती पूर्णिमा का अद्भुत संयोग 47 साल पहले 1973 में बना था।
इस प्रकार का अद्भुत संयोग 2024 में बनेगा
श्रावण मास का आरंभ सोमवार व समाप्ति सोमवार को होने का योग पूर्व में 1976, 1990, 1997 व 2017 में बना था। भविष्य में 2024 में यह अद्भुत संयोग बनेगा। उस समय 22 जुलाई सोमवार से श्रावण मास प्रारंभ होकर 19 अगस्त सोमवार को समाप्त होगा।
श्रावण मास में आने वाले विशिष्ट दिन कुछ इस तरह
- 16 जुलाई कमदाएकादशी
- 20 जुलाई सोमवती हरियाली अमावस्या
- 23 जुलाई हरियाली तीज
- 25 जुलाई नागपंचमी
- 30 जुलाई पवित्राएकादशी
- 3 अगस्त सोमवती अमावस्या, रक्षाबंधन, श्रावणी उपाकर्म
पौधरोपण करने से दोषों का नाश होकर समृद्धि आएगी
विशिष्ट सहयोग से और श्रावण मास में निर्मित ग्रहों के प्रभाव से श्रावण मास के शुरू होते ही तेज हवा के साथ उत्तम श्रेष्ठ वर्षा के योग निर्मित हो रहे हैं। पं. संजयशिवशंकर दवे ने बताया इस योग में शिवजी का पूजन, रुद्राभिषेक सहित पीपल, आंवले, विल्वपत्र, आम, नीम, अशोक, सीताफल आदि पौधों के उद्यान, मंदिर परिसर या मुक्तिधाम में रोपण किया जाना चाहिए। ऐसा करने से पूर्व के जाने अनजाने हुए सभी दोष की समाप्ति, समृद्धि की प्राप्ति व ग्रहजन्य सभी दोषों का स्वतः ही क्षमन हो जाता है। इस योग में जरूरतमंदों को अन्न के दान का भी अनन्य गुना पुण्य प्राप्त होता है। उन्होंने बताया सालों बाद श्रावण मास में 18 जुलाई व 1 अगस्त को दोनों प्रदोष पर शनिवार का सहयोग निर्मित हो रहा है। इस योग में की गई शिव पूजन अभिषेक, दान से जन्म कुंडली में स्थित शनि दोष सहित शनि की साढ़ेसाती के अनिष्ट प्रभाव का क्षमन हो जाता है।
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