ओंकारेश्वर महादेव की सावन आखिरी सवारी एक बार फिर मौखिक परमिशन के आधार पर ही निकली। इसमें मंदिर समिति की ओर से इस बार भी 4 लोग ही सवारी में शामिल थे। सवारी 4 बजे शुरू हुई तथा 5 बजे पुनः मंदिर आ गई।
ज्ञात रहे सवारी मार्ग भी तीसरी और चौथी सवारी में प्रशासन द्वारा तय किया गया था। उसी मार्ग पर पालकी निकाली गई। इसमें पालकी मंदिर से प्रारंभ होकर कंस चौराहा तथा सोमवारिया से चौक बाजार और उसके बाद किला रोड होते हुए पालकी लौट आई। इस बार भी शहरवासियों ने अपने घर से ही पालकी के दर्शन किए तथा रक्षाबंधन पर ससुराल से आई बेटियों ने भी इसका लाभ लिया।
सवारी के साथ एक बार फिर प्रशासन के पुलिसकर्मी मुस्तैद थे। इन्होंने सवारी को कहीं भी रुकने नहीं दिया। इतिहास में पहली बार सावन में एक बार भी सवारी भीम घाट पर नहीं पहुंच सकी। यहां पर महाआरती होती है। पुजारी ओमप्रकाश गोस्वामी ने बताया बाबा कि अंतिम सवारी और भादौ की पहली सवारी अभी निकलना बाकी है जो अगले सोमवार को निकाली जाएगी। इसमें हम प्रशासन से निवेदन करेंगे कि एक बार सवारी को भीम घाट पर ले जाकर महाआरती की जाए।
इधर भादौ में ओंकारेश्वर की अंतिम सवारी के साथ-साथ जयेश्वर महादेव और सोमेश्वर महादेव की सवारी भी निकलती है। इनका मिलन भीमघाट पर होता है। सवारी निकालने के लिए मंदिर समिति के रूपेश श्रीमाल और रमेश काका द्वारा प्रशासन से परमिशन मांगी गई है।
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