शुक्रवार शाम 7.15 बजे चांद दिखने साथ शनिवार से मुस्लिमों का रमजान पर्व शुरू होगा। पहला रोजा 16 घंटे 17 मिनट का रहेगा। पर्व की शुरुआत में ही लॉकडाउन का असर दिख रहा है। इफ्तारी के लिए समाज के लोगों को खजूर नहीं मिल रही है। कुछ दुकानों पर मिली भी, तो पिछले साल की तुलना में दोगुना भाव रहा। उन्होंने बताया पिछले साल खजूर का भाव 60 से 80 रुपए किलो था। इस बार 140 से 160 रुपए किलो भाव है। सेहरी के लिए ब्रेड नहीं मिलने से इस बार समाज के लोगों को दूध व रोटी से सेहरी करना होेगी। समाज के अब्दुल रहीम तिगाले ने बताया कई लोग दूध व ब्रेड से सेहरी करते हैं। लेकिन इस बार ब्रेड की आवक नहीं है। ऐसे में दूध व रोटी से सेहरी करेंगे।
व्यापारी संजय खंडेलवाल, अब्बास आदिल ने बताया खजूर ठंड व रमजान महीने में बिकती है। गर्मी सीजन में इसकी मांग नहीं रहती। पुराना स्टॉक बचा था, जो खत्म हो गया है। इंदौर में बाजार बंद होने के साथ अफसरों ने गोडाउन भी सील कर दिए हैं। इसलिए अपूर्ति नहीं हो रही है। सउदी अरब से मुंबई व इंदौर खजूर की आवक होती है। अब इंदौर से भी आवक बंद है।
शाम को फल दुकानें खोलने की दी जाए छूट
रमजान महीने में समाज के लोग रोजा रखकर इबादत करते हैं। शाम को सेहरी कर खजूर से रोजा खोलते हैं। लेकिन लॉकडाउन के कारण इंदौर से खजूर की आपूर्ति बंद है। सुन्नत मुस्लिम जमाअत के सदर फरीद मंसूरी ने बताया इफ्तारी में खजूर व फलों की जरूरत होती है। रमजान के मद्देनजर प्रशासन द्वारा को शाम को कुछ फल दुकानें खोलने की छूट दी जाए। इसको लेकर उन्होंने कलेक्टर व एसडीएम को आवेदन वाट्सएप पर भेजा है। उन्होंने बताया शनिवार को अफसरों से मिलकर व्यवस्था कराने की मांग करेंगे।
शुरुआती दिनों में 150 से 200 पेटी तक खपत
खंडेलवाल ने बताया रमजान महीने के शुरुआती दिनों में ही 150 से 200 पेटी तक खजूर की खपत होती है। एक पेटी में 10 से 12 किलो खजूर आता है। पूरे महीने में 10 से 12 टन खपत होती है। पैकिंग में 150 से 300 रुपए किलो भाव रहा। पिछले साल 60 से 300 रुपए किलो तक भाव था।
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