भीषण गर्मी की मार झेल रहे पूरे मालवा क्षेत्र में लोग दोपहर के समय शीतल छाया के लिए भटकते नजर आते हैं। ऐसे में पर्यावरण के लिए काम कर रहे लोगों के प्रति दिल श्रद्धा से भर जाता है। ऐसे ही एक पर्यावरण प्रेमी शिक्षक रोजवास निवासी देवीसिंह परिहार हैं, जो पर्यावरण के प्रति जीवन समर्पित कर पौधे लगाने का कार्य निरंतर 21 सालों से कर रहे हैं। उनके द्वारा क्षेत्र में अलग-अलग जगह लगाए पौधों ने पेड़ों का रूप ले लिया है। ये पेड़ राहगीरों को शीतल छाया दे रहे हैं। शिक्षक परिहार ने पौधे लगाने के साथ ही वहां नियमित रूप से पानी भी दिया है।
शिक्षक परिहार ने खुद के खर्च से पौधों की रक्षा के लिए ट्री-गार्ड भी लगाए। नियमिति पानी देने एवं देखभाल का नतीजा यह है कि अब क्षेत्र में हरियाली हो गई है। पर्यावरण जागरूकता के लिए वे विभिन्न संस्थानों को पौधे भी भी देते हैं। वे अधिकाशंतः सरकारी विद्यालयों में बच्चों को पौधे भेंट करते हैं एवं उन्हें पर्यावरण संबंधी जानकारियां दे रहे है। बच्चों को पेड़-पौधों का महत्व समझाते हुए पौधारोपण के लिए सजग कर रहे हैं। परिहार विद्यालय परिसर में विभिन्न प्रजातियों के पौधे लगाकर बच्चों को इनका प्रायोगिक ज्ञान भी देते हैं। वर्तमान में क्षेत्र भीषण जलसंकट के दौर से गुजर रहा है, ऐसे में जहां ग्रामीणों को पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है, वहीं परिहार दूर-दूर से साइकिल पर कैन बांधकर पानी लाकर पौधों को सींचते रहे हैं। उनका मानना है कि क्षेत्र में उचित अनुपात में पेड़ होने से अच्छी वर्षा होगी, जिसका लाभ पूरे क्षेत्र को मिलेगा।
^शिक्षक परिहार कई सालों से पौधारोपण कर रहे हैं। वे बच्चों एवं ग्रामीणों को पौधारोपण के प्रति जागरूक भी करते हैं। उनके द्वारा रोपे गए कई पौधे अब छायादार पेड़ बन गए हैं। टिटोड़ी में भी अब ये पेड़ लोगों को सुकून दे रहे हैं।
गोपाल सिंह, सरपंच, पंचायत टिटोड़ी
21 साल से पर्यावरण जागरूकता का कर रहे काम
परिहार ने बताया 21 वर्षों से पर्यावरण जागरूकता के लिए काम कर रहा हूं। आम, अनार, पीपल, नीम, बरगद, गुड़हल, अशोक, कनेर, मधुमालती, जामुन, बिल्वपत्र, कैल, इमली, अमरूद, आंवला, मीठा नीम, गुलाब, मोगरा, हारश्रृंगार, चांदनी, रातरानी, खिरनी, शिशम, कटहल, चमेली, गुलमोहर सहित कई प्रजाति के लगभग 11 हजार पौधे अलग-अलग स्थानों पर लगाए हैं। इसमें से अधिकांश पौधे उचित देखभाल में फल फूल रहे हैं। परिहार पर्यावरण में रुचि रखने वाले लोगों को पौधे भी उपलब्ध करवाते हैं। उनकी इस मेहनत से लोगों में पर्यावरण के प्रति विशेष जागरूकता भी देखने को मिल रही है। पर्यावरण जागरूकता में विभिन्न फलों के बीजों को वर्षभर एकत्रित कर बारिश के सीजन में किसी भी निर्जर स्थान पर लगाने से ये पौधे और फिर पेड़ का रूप ले लेते हैं। आम, नीम, आंवला, पपीता, चीकू, सीताफल, मौसंबी, कटहल आदि के बीज सहेजकर रख उन्हें बारिश में पौधों का रूप दिया जा सकता है।
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