इस साल श्रावण में दो बार शनिवार और प्रदोष का संयोग बन रहा है। महाकाल के इस पर्व पर शनि प्रदोष क़ा यह विशिष्ट योग शनि जन्य दोषों के निवारणार्थ व अत्यंत पुण्यप्रद है।
पं. हिमांशु शुक्ल ने बताया यह संयोग 18 जुलाई व 1 अगस्त को बन रहा है। इससे पूर्व श्रावण में दोनों पक्षों में शनि प्रदोष की युक्ति 7 अगस्त व 21 अगस्त 2010 में आई थी। आगामी भविष्य में यह संयोग 31 जुलाई व 14 अगस्त 2027 के श्रावण मास में आएगा। भगवान शिव की पूजा शनि की पीड़ा से मुक्ति दिलाने वाली होती है, जब भगवान शिव की सबसे प्रिय तिथि प्रदोष (त्रयोदशी) शनिवार को आ जाए तो यह दिन और विशेष हो जाता है। साथ पुण्यप्रद शनि प्रदोष पर श्रावण का संयोग बन जाए तो पुण्य प्राप्ति गुना वृद्धि होती है।
सालों के बाद इस प्रकार के संयोग की स्थिति बनती है, जब श्रावण, प्रदोष तिथि और शनिवार का संयोग बने और वह एक ही माह में दो बार। इस संयोग में की उपासना पूजन से शनि जन्य पीड़ा शीघ्र लाभ प्राप्ति होती है। जिनकी जन्मकुंडली में शनि खराब है। जिन्हें शनि की महादशा चल रही है, जिन्हें शनि की साढ़ेसाती चल रही है। उनके लिए 18 जुलाई व 1 अगस्त को आने वाला शनि प्रदोष का दिन शानिजन्य दोष पीड़ा निवारणार्थ सर्वोत्तम है।
जरूरतमंद को वस्त्र, पादुका व कच्चा अन्न दान करें
शनिप्रदोष के दिन व्रत, पूजन, पाठ व दान करने से सुख, संपत्ति, सौभाग्य, धन-धान्य की प्राप्ति होती है। शनि प्रदोष के दिन जरूरतमंद व्यक्तियों को वस्त्र, पादुका सहित कच्चे अन्न के दान से पूर्व पापों का शमन होता है व नवग्रह जन्य पीड़ा में लाभ की प्राप्ति होती है। पंडित शुक्ल ने बताया इस दिन शिवजी के अभिषेक द्वारा घर में स्थित पितृदोष की समाप्ति होती है। जिनकी जन्म कुंडली में कालसर्प दोष है, जिनके कार्यों में सदा अवरोध होता है। उन्हें श्री रुद्राभिषेक सहित शनि देव का तेलाभिषेक व चांदी के नाग नागिन का विधिवत पूजन कर उन्हें बहते जल में प्रभावित करना चाहिए।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2CffHRj
via IFTTT