(गुरुदत्त तिवारी )कोरोना का संक्रमण बढ़ने के बाद बुजुर्गों के साथ कम उम्र के लोग भी वसीयत बना रहे हैं। अपनी मृत्यु तक गोपनीयता बनाए रखने के लिए कई लाेग सादे कागजों पर अपने हाथों से वसीयत लिखकर अपने वकीलों के पास जमा करा रहे हैं। हालांकि बाद में प्रॉपर्टी को लेकर होने वाले विवाद से बचने लिए अनेक व्यक्तियों ने नोटरी भी कराई है।
कुछ लोगों ने तो सीधे वसीयतों का पंजीयन ही करा लिया है। पंजीयन विभाग के पास पिछले एक माह में करीब 200 वसीयतों का पंजीयन हुआ है, लेकिन नोटरी कराकर वकीलों के पास वसीयतें रखने वालों की तादाद इनसे काफी अधिक है। कानून के जानकार बताते हैं कि मप्र में सादे कागज पर लिखी हुई वसीयत को भी कानूनी मान्यता है, इसलिए बड़ी संख्या में लोग सादे कागज पर अपने हाथों से वसीयत बनाकर अपने वकीलों और कर सलाहकारों के पास जमा करा देते हैं।
जिला अभिभाषक संघ में नोटरी प्रकोष्ठ के प्रमुख मनोहर पाठक कहते हैं कि हैरानी की बात यह है कि पहले केवल वे बुजुर्ग ही वसीयत की नोटरी के लिए आते थे, जो लंबे समय से बीमार होते थे या फिर उनकी उम्र 70 साल से ज्यादा हो जाती थी, लेकिन अब बड़ी संख्या में स्वस्थ लोग व 40 साल के युवक भी वसीयत करा रहे हैं। वे आकर यही कहते हैं कि कोरोना के समय में किसी के भी जीवन का भरोसा नहीं। कभी भी कुछ भी हो सकता है। जाने के बाद घर में कलह न हो, इसलिए वे संपत्ति का बराबर बंटवारा करना चाहते हैं।
खौफ...परिजन खुद अपने बुजुर्गों को वसीयत बनवाने लेकर आ रहे हैं
वसीयत मामलों के जानकार एक वकील ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कई घरों में यह स्थिति है कि खुद परिजन ही अपने बुजुर्गों को वसीयत बनाने के लिए लेकर आ रहे हैं। यह तो पहले कभी नहीं देखा गया। यह इस बात का प्रमाण है कि लोगों के बीच कोरोना का खौफ किस कदर हावी है। जिला पंजीयन विभाग के अनुसार तीन पंजीयन कार्यालयों में 200 वसीयतें पंजीयन के लिए भी पहुंच गईं। ये ज्यादातर वही वसीयतें थी जिनकी पहले नोटरी हो चुकी थी।
जून माह में वसीयत
- 1000 वसीयतों की नोटरी इस बार
- 500 वसीयतों की नोटरी हुई थी 2019में
- 100 नोटरी हैंराजधानी में... (जिला अभिभाषक संघ की नोटरी प्रकोष्ठ का आकलन)
वैसे तो अमीर लोग अपनी संपत्ति के उचित बटंवारे के लिए वसीयतें बनवाते थे, लेकिन अब तो उच्च मध्यमवर्गीय लोग भी वसीयतें बनवा रहे हैं। हैरानी की बात तो यह है कि अब स्वस्थ लोग कम उम्र में ही वसीयतें तैयार करवा रहे हैं। एस कृष्णन, अध्यक्ष, भोपाल टैक्स लॉ बार एसोसिएशन
सीधी बात :विजय कुप्पा, सह संस्थापक, ओरोवेल्थ
लॉकडाउन में साथ रहे परिवारों ने बढ़ाई वसीयतों की संख्या
क्या कोरोना के कारण वसीयत करने वाले बढ़ रहे हैं?
हां, लॉकडाउन में परिवार के सदस्य एक साथ घर पर थे। उनके बीच भविष्य को लेकर ज्यादा चर्चाएं हुईं। इसी के चलते वसीयत की संख्या तेजी से बढ़ी।
लोग मिडिल एज में भी वसीयत बना रहे हैं?
मिडिल एज वाले लोगों ने लॉकडाउन के दौरान वारिस के नाम पंजीकृत कराए हैं। औपचारिक वसीयत बनाने वाले मिडिल एज लोगों की संख्या बढ़ी है।
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