(नीता सिसौदिया)दो महीने पहले कोरोना से स्वस्थ हुई महिला के दोबारा संक्रमित होने का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। इंदौर में अपनी तरह के इस अलग केस से डॉक्टर भी हैरान हैं। वे भी पड़ताल में जुटे हैं कि ऐसा हुआ कैसे। उक्त महिला की उम्र 50 वर्ष है और वे नार्थ तोड़ा निवासी हैं। उन्हें 18 मई को संक्रमित होने के बाद 20 मई को अरबिंदो में भर्ती कराया था। 10 दिन इलाज के बाद 30 मई को स्वस्थ होकर घर लौटीं। हाल ही में तबीयत बिगड़ने पर 12 जुलाई को जांच कराई तो फिर रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई। अब उन्हें एमआरटीबी अस्पताल में भर्ती कराया है।
महिला के मुताबिक, परिवार में एक सदस्य की हार्ट अटैक से मौत हुई थी, उसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने संदेह पर सभी के सैंपल लिए। उनकी स्थिति बिलकुल ठीक है, मई में भी जब वे पॉजिटिव आई थीं, तब भी कोई दिक्कत नहीं थी।
जिन 8 फीसदी में दोबारा की संभावना, उसमें भी कई कैटेगरी
एक्सपर्ट बताते हैं कि दुनिया के सारे केस के अध्ययन के बाद यह बात सामने आई कि 92 फीसदी लोगों को दोबारा कोरोना नहीं होता। जिन 8 फीसदी केस में पुन: इसकी संभावना होती है, उनमें भी अलग-अलग कैटेगरी हैं, यानी इन 8 प्रतिशत में भी बहुत सारी व्याख्याएं की गई हैं। यह विषम परिस्थितियों में ही दोबारा संभव है। ये अपने आप में अलग मामला है, इसकी केस स्टडी होगी।
उम्र ज्यादा तो एंटीबॉडी कम
उम्र के हिसाब से शरीर में विटामिन्स और मिनरल्स की मात्रा जितनी अच्छी होगी, उतने एंटीबॉडी प्रोटीन बनेंगे। अधिक उम्र एंटीबॉडी कम बनती है। इस केस में जांच के बाद तथ्य आएंगे। - डॉ. अशोक यादव, एचओडी, ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन,
इम्युनिटी कम रही होगी
हो सकता है कि मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो। कुछ बीमारी में बनने वाली एंटीबॉडी आजीवन रहती है तो कुछ में निश्चित समय के लिए।
- डॉ. अनिल डोंगरे, प्रभारी कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग, एमजीएम मेडिकल कॉलेज
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