जर्मनी में वैज्ञानिक बहन सात साल से रक्षाबंधन पर अपने भाई को राखी नहीं बांध पाई थी। इस साल कोरोना संक्रमण के चलते वह पांच महीने से खंडवा स्थित घर पर ही थीं, लेकिन विशेष परिस्थिति में उन्हें जर्मनी लौटना पड़ा। परंपरा न टूटे इसलिए अपने भाई को तीन दिन पहले ही राखी बांधी। वहीं यूके में पढ़ रहा अनमाेल भी तीन साल बाद घर और परिवार के बीच है। वतन से दूर रह रहे अनमाेल के हाथों पर अब बहनों का रक्षासूत्र होगा। वर्षों से विदेश में रहकर नौकरी कर रहे या पढ़ाई कर रहे भाई व बहन कोरोना संक्रमण में लाॅकडाउन के चलते इस साल रक्षाबंधन पर अपने घर पर ही हैं या वतन ही नहीं लौट पा रहे। कुछ को सालों बाद वतन, अपने घर पर रक्षाबंधन पर्व मनाने की खुशी है तो किसी को वतन की वापसी नहीं होने का गम है।
तीन साल बाद बहनों से राखी बंधवाएगा अनमोल : अनमोल महेश्राम निवासी मेडिकल कॉलेज कैंपस ने बताया वे लॉगबोरोघ यूके में तीन साल से पढ़ाई कर रहे हैं। रक्षाबंधन इस साल घर ही मनाएंगे। मां डॉ. सपना महेश्राम ने बताया तीन साल के बाद बेटा रक्षाबंधन पर घर पर ही है, इसलिए बहुत खुश हूं। वह इंदौर में कजिन बहनों से राखी बंधवाएगा।
नेहा ने कहा खुश हूं, संस्कार को बांधूंगी राखी : नेहा राठी निवासी हनुमान नगर ने बताया वह न्यू केसल अपोन, यूके में एक साल से एएमसी फाइनेंशियल मैनेजमेंट का कोर्स कर रही हैं। संक्रमण के चलते वह खंडवा आ गई थीं। मुझे खुशी है कि मैं इस साल घर पर ही रक्षाबंधन मनाऊंगी और छोटे भाई संस्कार माहेश्वरी को राखी बांधूंगी।
बेटा-बेटी नहीं आए तो माता-पिता ही मिल आए विदेश : डॉ. राजीव जैन निवासी रामगंज खंडवा ने बताया न्यू जर्सी में उनका बेटा अपूर्व जैन तीन साल व बेटी नीतल जैन 10 साल से साफ्टवेयर इंजीनियर के पद पर कार्य कर रहे हैं। कभी-कभी वे रक्षाबंधन पर घर आ जाते हैं, लेकिन इस साल नहीं आ पा रहे थे तो उनकी पत्नी और वे ही न्यू जर्सी चले गए और बेटा-बेटी से मिलकर आ गए।
7 साल में कभी राखी पर नहीं आई, लॉकडाउन में आना पड़ा
32 वर्षीय अमृता जैन निवासी नवकार नगर ने बताया वह जर्मनी के म्यूनिख शहर में साइंटिस्ट हैं। सात साल में कभी राखी पर नहीं आई। इस साल लॉकडाउन के चलते मार्च से जुलाई तक घर पर ही थीं, लेकिन विशेष कारणों से उन्हें 29 जुलाई को जर्मनी लौटना पड़ा। इसलिए भाई रजनीश को तीन दिन पहले ही राखी बांधी।
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