जून-जुलाई में कोरोना संक्रमण तेजी से फैलने का खतरा हर तरफ से सुनाई दे रहा है। सरकार ने भी इसके लिए प्रशासन को पर्याप्त इंतजाम करने को कहा है। लेकिन मौजूदा स्थिति में हमारे पास न तो पर्याप्त अस्पताल हैं, न बेड हैं और न ही आसीयू और ऑक्सीजन की सुविधा का इंतजाम। प्रशासन ने इस खतरे से निपटने के इंतजाम तो किए हैं लेकिन अभी टारगेट से पीछे हैं।
संक्रमण फैलने पर तेजी से पॉजिटिव मरीज बढ़ेंगे। इसके लिए जिला प्रशासन ने तैयारी शुरू कर दी है। मरीजों को रखने के लिए सरकारी व निजी अस्पतालों के अलावा होस्टल, धर्मशाला, गार्डन, होटल, स्कूल, कॉलेज भवन भी आइसोलेशन वार्ड में तब्दिल करने की तैयारी की है। जिले में ऐसे 40 स्थानों पर 3549 बेड उपलब्ध हो गए हैं। अभी 100 बेड का इंतजाम और बाकी है।
गंभीर मरीजों को ऑक्सीजन सुविधा वाले बेड की जरूरत होती है। अभी प्रशासन के पास 8 सरकारी व निजी अस्पतालों में 535 बेड उपलब्ध हैं, जो टारगेट से 110 कम हैं। अति गंभीर मरीजों को आईसीयू में रखने के लिए 215 बेड की जरूरत है जबकि 142 ही उपलब्ध है। टारगेट 215 बेड पर ही वेंटिलेटर होना चाहिए लेकिन फिलहाल 27 बेड पर ही वेंटिलेटर है। 188 वेंटिलेटर की जरूरत पूरी होना है।
मरीजों की पहचान के लिए क्लिनिक
मरीजों की पहचान के लिए सरकार ने फीवर क्लिनिक्स की संख्या बढ़ाने को कहा है। 27 मोहल्ला क्लिनिक काम कर रहे हैं, जहां से अब तक 7 पॉजिटिव मिले हैं। फीवर क्लिनिक के रुप में शहर में 10 सरकारी, 7 ग्रामीण, 15 निजी अस्पतालों में मरीज देखे जा रहे हैं। इनके माध्यम से 117 पॉजिटिव पहचाने गए हैं। फीवर क्लिनिक के लिए 230 प्राइवेट डॉक्टर्स को ट्रेंड किया है। 92 क्लीनिक रजिस्टर्ड किए गए हैं।
7 डॉक्टरों की नियुक्ति : कोरोना से निपटने के लिए की जा रही तैयारी में 33 प्राइवेट डॉक्टर्स की मदद सर्वे टीम में ली जा रही है। 7 डॉक्टरों को 3 महीने के लिए नियुक्त किया गया है। पैरामेडिकल स्टॉफ की नियुक्ति की भी प्रक्रिया चल रही है।
प्रशासन का दावा- इंतजाम तय, जरूरत के अनुसार साधन उपलब्ध होंगे
सीएमएचओ डॉ महावीर खंडेलवाल का कहना है कि हमने अनुमानों के आधार पर व्यवस्थाएं तय कर ली है। वेंटिलेटर की जगह वायटैक मशीनों का उपयोग किया जाएगा। एमडी मेडिसिन और एनेसथिसिया विशेषज्ञों की जरूरत है, इसके लिए प्रयास कर रहे हैं। पैरामेडिकल स्टॉफ पर्याप्त है।
चरक में संचालित सेंट्रल पैथोलॉजी लैब में पांच दिनों से बायोकेमिस्ट्री संबंधित जांचें नहीं हो पा रही हैं। इसकी वजह है यहां से बायोकेमिस्ट्री के चार स्पेशलिस्ट लैब टेक्नीशियंस राजेंद्र दुबे, आशा साल्वी, गणेश त्रिवेदी व अखिलेश परमार को 1 जून को माधवनगर हॉस्पिटल पदस्थ कर दिया है। उनकी जगह पर मलेरिया विभाग के तीन कर्मचारियों को भेजा है। बायोकेमिस्ट्री में शुगर व यूरिन की जांच तो हो पा रही है लेकिन क्रेटिनिन और ब्लूरिबन तथा थायराइड जैसी जांचें नहीं हो पा रही है। बायोकेमिस्ट्री से संबंधित 25 से 30 तरह की जांच होती है इसके लिए हर रोज 80 से 90 सैंपल आते हैं।
यह हो रहा है असर
मरीजों को प्राइवेट लैब में जांच करवाना पड़ रही है। इसके लिए उन्हें शुल्क चुकाना पड़ रहा है। जिला अस्पताल में प्राइवेट लैब की रिपोर्ट मान्य नहीं की जाती है। ऐसे मरीज को आगे इलाज नहीं मिल पा रहा।
टेस्ट लगाना सीखना होगा
जो स्टाफ है या जिन्हें जिम्मेदारी दी है, उन्हें सभी जांच करना होगी। टेस्ट लगाना नहीं आता हैं तो उन्हें सीखना होगा।
डॉ. आरपी परमार, सीएस
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