ये हैं शहर के उन 58 डॉक्टर्स के जज्बे और जुनून की कहानी, जो अपनी जान की परवाह किए बगैर कोरोना मरीजों के इलाज में जुटे हुए हैं। सुबह होते ही क्षेत्रों में निकल जाना और मरीजों का सर्वे करना तथा सैंपल लेना इनकी दिनचर्या है। मरीजों को इलाज के लिए इधर-उधर भटकते हुए देखा तो निर्णय लिया कि मरीजों का मुफ्त इलाज करेंगे।
इन्होंने शहर के पहले कंटेनमेंट क्षेत्र जानसापुरा से 5 मई से कोरोना को हराने के अभियान की शुरुआत की। यह वह क्षेत्र था, जहां पर दूसरी टीमें जाने से घबराती थी। क्षेत्र के लोगों के अपशब्द सुनने के बाद भी ये डटे रहे। आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में मरीजो के बीच जाकर योग व डांस किया और उनका हौसला बढ़ाया। आयुष विभाग ने तो इनमें से सात डॉक्टर की चिकित्सा सेवाएं सरकारी तौर पर लेना भी शुरू कर दी। इन्होंने कोई सरकारी मदद भी नहीं ली। खुद के खर्चे पर लोगों को चिकित्सा सेवा दे रहे हैं। अब तक 400 मरीजों की सैंपलिंग करवा चुके हैं। चूंकि ये अलग-अलग क्षेत्रों के डॉक्टर हैं और कई सालों से अपने-अपने क्षेत्रों में चिकित्सा सेवा देते आए हैं, इसलिए इन्हें क्षेत्र के लोगों के बारे में ज्यादा जानकारी होने के साथ ही लोगों से जीवित संपर्क भी है। इस वजह से इन्हें कार्य करने में ज्यादा आसानी हुई। वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति से जुड़े इन डॉक्टर्स ने लोगों के मन से कोरोना का डर भगाने का कार्य किया। स्थानीय डॉक्टर होने से लोगों ने इन पर भरोसा किया और जांच तथा इलाज के लिए तैयार हुए। मरीजों को प्राथमिक उपचार देने के साथ ही इन्होंने क्षेत्रों में सर्वे और सैंपलिंग का कार्य भी किया।
गर्भवती को भटकते देखा तो फील्ड में आने का निर्णय लिया
टीम लीडर डॉ. अकील खान कहते हैं भार्गव मार्ग की शहाना पति अब्दुल रज्जाक जो कि गर्भवती थी, उसे भर्ती करने के लिए कोई भी अस्पताल तैयार नहीं था। महिला डिलीवरी के लिए भटक रही थी। समय पर इलाज नहीं मिल पाने से महिला के बच्चे की मौत हो गई। उसके बाद महिला की भी मौत हो गई। उसके बाद टीम के सदस्यों से चर्चा कर निर्णय लिया मरीजों का इलाज करना है और मैदान में उतर गए।
इन चुनौतियों से भी जूझना पड़ता... अपशब्द सुनना पड़ते
कोरोना की जांच करवाने के लिए लोग आसानी से तैयार नहीं होते। वह कहते हैं कि हम तो स्वस्थ हैं, हमंे कुछ नहीं हुआ है। आप लोग हॉस्पिटल में ले जाकर भर्ती कर दोगे। जांच के दौरान कई लोग अभद्रता भी करते थे। यहां तक कि लोगों के अपशब्द भी सुनना पड़ते थे। बावजूद उन्हें भरोसा दिलाकर सैंपलिंग के लिए तैयार करते हैं ताकि संक्रमण रोका जा सके। सैंपल हो जाने से पॉजिटिव सामने आ जाते हैं।
योग व डांस कर संक्रमित मरीजों का हौसला बढ़ाया
टीम में शामिल 5 चिकित्सकों ने आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में 24 घंटो में अलग-अलग शिफ्टों के माध्यम से कोरोना मरीजों के साथ योग-डांस के द्वारा मरीजों के डर को दूर कर उनमें आत्मविश्वास पैदा कर जीवन जीने का उत्साह बढ़ाया। वर्तमान में संस्था के 7 डॉक्टर्स को आयुष विभाग में अस्थाई नियुक्ति दी गई है। ये डॉक्टर्स फीवर क्लिनिक के साथ-साथ सैंपलिंग का दायित्व भी निभा रहे हैं।
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