
एक सप्ताह पहले तक जिस खरीफ फसल को लहलहाता देख किसान भविष्य के सपने संजोने लगा था। वह सप्ताह भर के अंदर ही टूटते नजर आ रहे हैं। अब तो आलम यह है कि किसान भगवान से प्रार्थना कर रहा है कि इतना कुछ तो दे जिससे कि लागत खड़ी हो जाए। खेतों में खड़ी फसल पीली पड़कर सूखने लगी है। इसमें खास बात यह है कि इसके समाधान के लिए भी किसानों के पास कोई उपाय नहीं है।
क्षेत्र में 62120 हेक्टेयर में सोयाबीन की बुआई की गई है। एक सप्ताह पूर्व तक किसानों की फसल खेतों में लहलहा रही थी। जिसे देखकर किसान संतुष्ट था। उसे उम्मीद थी कि वह हर वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष खरीफ सीजन में अच्छा उत्पादन लेगा। लेकिन अचानक फसलों में सफेद मक्खी, रस चूसक इल्ली, का प्रकोप लगने से क्षेत्र में बोई सोयाबीन की सफल अचानक से पीली पड़ कर सूखने लगी। किसान और कृषि विभाग का अमला जब तक इस बात को समझ पाता तब तक इल्लियों ने लगभग 50 फीसदी फसल को बर्बाद कर दी थी। लगातार किसानों की शिकायत मिलने के बाद कृषि अमला खेतों में पहुंचकर फसलों का जायजा ले रहा है। प्राथमिक परीक्षण के बाद फसलों की हालत क्षेत्र में ज्यादा खराब होती दिख रही है। हालांकि अभी कितना नुकसान हुआ है इसका आंकलन करना बाकी है।
कीट लगने से बर्बाद हुई फसल को नहीं बचाया जा सकता
कृषि विभाग के डीडीए एसएस राजपूत सहित अधिकारियों व वैज्ञानिकों का कहना है कि जो फसल कीट से प्रभावित हो चुकी है। जिनका पौधा सूखने लगा है, उन फसलों को बचाना असंभव है। जो फसल अभी हरी है, उन्हें दवा का छिड़काव कर बचाया जा सकता है। लेकिन उन में भी समय-समय पर लगातार दवा का छिड़काव करना होगा। साथ ही यह भी कहा कि जिन खेतों में फसल 50 प्रतिशत से अधिक प्रभावित हो चुकी है, उन फसलों को बचाना संभव नहीं है।
18 अगस्त से पहले हो गई थी लिंक बंद
भाजपा नेताओं ने जानकारी दी कि फसल बीमा योजना का लाभ लेने के लिए अधिकृत की गई लिंक, साइड 18 अगस्त से पूर्व ही बंद हो गई। इसके कारण कई किसान अपना बीमा पंजीयन नहीं करा सकें। इसके लिए शासन स्तर पर तत्काल पत्र के माध्यम से जानकारी देकर तारीख आगे बढ़ाने की मांग की जाए।
करीब एक दर्जन गांवों में चल रहा सर्वे
कृषि विभाग का अमला व वैज्ञानिक जिन गांवों में ज्यादा फसलों के नुकसान की शिकायत मिल रही है, वहां पहुंच रहे हैं। क्षेत्र के गांव लोदड़ी, नयापुरा, पांगरी, बसंतपुर, घुटवानी, पिपलानी, इटावा, घोघरा, हमीदगंज, बाईबोड़ी, बाकोट, सुकरवास, मगरिया व वासुदेव के खेतों में पहुंचकर फसलों का वास्तविक आंकलन किया गया है। इसके अलावा अन्य गांवों में भी कृषि विभाग की टीम पहुंचकर सर्वे कर रही है। साथ ही वैज्ञानिक फसलों को बचाने के लिए किसानों को जरूरी सलाह के साथ कीटनाशक दवाई का छिड़काव भी बता रहे हैं।
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