ब्लाक के आदिवासी गांव में की बिजली आठ दिन से बंद पड़ी है। हालांकि गांव में घरेलू बिजली नहीं है लेकिन ग्रामीण खेत की बिजली का ही उपयोग करते हैं। यह भी बंद होने से आदिवासी परेशान हैं। सोमवार को वे विद्युत वितरण कंपनी खालवा कार्यालय पहुंचे और बारिश में बच्चों-बुजुर्गों को जीव-जंतुओं से डर बताते हुए बिजली चालू करने की मांग की। कंपनी कर्मचारी ने ग्रामीणों को पहले बिल भरने की नसीहत दी।
गोमुख ढाना के विजय रामलाल, अनिल काजले, वरुण यादव आदि ने बताया कि करीब 700 की आबादी वाले हमारे गांव में अब तक घरेलू बिजली पहुंची ही नहीं है। जैसे-तैसे खेत की बिजली से काम चल रहा है। खेत की बिजली का समय भी रात 2 से सुबह 6 तथा दोपहर 1 से शाम 6 बजे तक ही है। आधी रात तो हमें अंधेरे में ही गुजारना पड़ रहा था। आठ दिन से यह सुविधा भी छिन गई है। गांव के अनोखीलाल मार्को ने बताया आज हम समस्या लेकर बिजली कंपनी कार्यालय पहुंचे तो बताया कि गांव का बिजली बिल बकाया होने से लाइन काट दी गई है।
बिना मीटर के दे रहे बिल
ग्रामीणों ने बताया गांव में घरेलू बिजली नहीं है। एक भी घर में मीटर नहीं लगा है। इसके बावजूद सभी को मनमर्जी से बिल दिए जा रहे हैं। जनवरी तक हमारे घरों में बिल आते थे। हम प्रतिमाह भुगतान भी करते थे। लॉकडाउन के बाद से किसी को बिल नहीं मिला। अब ग्रामीणों को 1 से 4 हजार रुपए का बिल थमाया जा रहा है। आदिवासी गरीब इतना पैसा कहां से जुटाएंगे।
प्रस्ताव भेजा है
गोमुखढाना गांव पर एक लाख रुपए से अधिक का बिल बकाया है। ग्रामीणों ने लंबे समय से बिल जमा नहीं किया है। वैसे बिजली हमने नहीं काटी, ट्रांसफार्मर में फाल्ट होने से बंद है। ग्रामीण आए तब यह पता चला। वैसे गांव में घरेलू कनेक्शन पहुंचाने के लिए प्रस्ताव भेजा है। जल्द ही गांव की बिजली चालू कर दी जाएगी।
उदयपाल सिंह, जेई, विवि कंपनी, खालवा
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