पूर्णिमा के अवसर पर सोमवार को श्रावणी उपाकर्म कर ब्राह्मण नई जनेऊ धारण करेंगे। आचार्य अजय पंड्या ने बताया श्रावणी उपाकर्म श्रावण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को किया जाता है, जिसमें अपने पितरों का तर्पण कर जाने अनजाने में हुए समस्त दोषों से मुक्ति के लिए प्रार्थना की जाती है। श्रावणी उपाकर्म करने से देवता व पितृ प्रसन्न होते हैं। पूर्व में हुए दोषों के पश्चाताप व पितृ और देवता की कृपा प्राप्त करने का यह पर्व माना गया है। ब्राह्मण बंधुओं द्वारा प्रत्येक वर्ष रक्षाबंधन पर यह कर्म चंबल तट पर वृहद स्तर पर संपन्न कराया जाता है, लेकिन इस वर्ष कोरोना महामारी के चलते परंपरा का निर्वहन करते हुए सामाजिक दूरी व नियमों का पालन कर संक्षिप्त रूप में चंबल तट पर ब्राह्मण जन श्रावणी कर जनेऊ बदलेंगे। सहस्त्र औदिच्य युवा कर्मकांड विद् पं. अजय पंड्या, पं. दीपक पंड्या, पं. दीपक रावल के मार्गदर्शन में सर्वजन हितार्थ आगंतुक श्रद्धालुओं को सुबह 9 बजे से चंबल तट पर विधिपूर्वक श्रावणी कर्म संपन्न कराया जाएगा।
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