बरखेड़ा के मानस एवं भागवत प्रवक्ता आचार्य पुरुषोत्तम पारीक, रामस्वरूप पारीक ने भगवान परशुराम की तस्वीर के सामने 1100 दीप प्रज्ज्वलित कर आरती की एवं भगवान परशुराम से सभी देशवासियों के कल्याण की कामना की।भागवत प्रवक्ता पुरुषोत्तम पारीक ने बताया परशुराम त्रेतायुग रामायण काल में एक ब्राह्मण ऋषि के यहां जन्मे थे। जो विष्णु के छठा अवतार है पौराणिक वृतांतों के अनुसार उनका जन्म महर्षि भृगु के पुत्र महर्षि जमदाग्नि द्वारा संपन्न पुत्रेष्टि यज्ञ से प्रसन्न देवराज इंद्र के वरदान स्वरूप पत्नी रेणुका के गर्भ से वैशाख शुक्ल तृतीया को मप्र के इंदौर जिला में ग्राम मानपुर के जानापाव पर्वत में हुआ था। पितामह भृगु द्वारा संपन्न नामकरण संस्कार के अनन्तर राम कहलाए। वे जमदाग्नि का पुत्र होने के कारण जामदग्न्य और शिवजी द्वारा प्रदत्त परशु धारण किए रहने के कारण वे परशुराम कहलाए। आरंभिक शिक्षा महर्षि विश्वामित्र एवं ऋचीक के आश्रम में प्राप्त होने के साथ ही महर्षि ऋचीक से शार्ङ्ग नामक दिव्य वैष्णव धनुष और ब्रह्मर्षि कश्यप से विधिवत अविनाशी वैष्णव मंत्र प्राप्त हुआ। तदनंतर कैलाश गिरिशृंग पर स्थित भगवान शंकर के आश्रम में विद्या प्राप्त कर विशिष्ट दिव्यास्त्र विद्युदभि नामक परशु प्राप्त किया। शिवजी से उन्हें श्रीकृष्ण का त्रैलोक्य विजय कवच, स्तवराज स्तोत्र एवं मंत्र कल्पतरु भी प्राप्त हुए।
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