लाॅकडाउन, कर्फ्यू के बीच भी जहां शहर में लोग बेमतलब सड़कों पर निकल रहे हैं। सुबह के वक्त गाड़ियों से निकलकर खाली सड़कों को निहार रहे हैं, वहीं सुबह से शाम तक सुनसान रहने वाले गांवों में लोग लाॅकडाउन को सख्त करने के लिए नए-नए प्रयोग कर रहे हैं। इंदौर से 30 किमी दूर पीपल्दा गांव में लोगों ने इतनी सख्ती कर दी है कि आंगन में भी लोग आकर नहीं बैठ पा रहे। गांव के युवा जला हुआ ऑइल लेकर आए और घरों के बाहर आंगन, डोली पर फैला दिया, ताकि बैठना तो दूर लोग ज्यादा घूम-फिर भी न सकें।
गांव के प्रवेश द्वार पर नाकाबंंदी तो पहले से ही जारी है। शनिवार को सुबह के वक्त जले हुए ऑइल के रूप में नया प्रयोग किया। ग्रामीण जितेंद्र जंडेल का कहना है कि वैसे तो गांव में कोई बाहरी नहीं आता। गांव में किसी को भी सर्दी-खांसी नहीं है। फिर भी एहतियात के तौर पर सोशल डिस्टेंस बनाए रखना जरूरी है, इसलिए गांव में लोगों से सहमति लेकर ही यह फैसला लिया है। जले ऑइल का एक फायदा यह भी है कि मक्खी, मच्छर भी नहीं होंगे। गांव में इनकी भी समस्या काफी रहती है। सिर्फ सुबह-शाम डेयरी और सांची को दूध देने के लिए लोग बाहर निकल रहे हैं। इसके सिवाय घरों में ही रहना पसंद कर रहे हैं।
शहरियों का आना ज्यादा, इसलिए सख्ती
पीपल्दा के समीप ग्राम पिवड़ाय में भी चार तरफ से नाकाबंदी 24 मार्च से ही शुरू कर दी थी। सभी नाके पर बारी-बारी से गांव के लोग आकर बैठते हैं। कोई अजनबी तो दूर फिलहाल रिश्तेदारों को भी आने से रोक रहे हैं। ग्रामीण शिव पटेल के मुताबिक सभी घरों ने तय किया है कि लाॅकडाउन की अवधि में कोई बाहरी नहीं आएगा, चाहे फिर सगा-संबंधी ही क्यों न हो। इस रोड पर शहरी लोगों का आना-जाना भी काफी है, इसलिए भी सख्ती करना और जरूरी है। गांव से शहर के अस्पताल भी काफी दूर हैं। कोई अनहोनी हो इससे अच्छा है कि अभी सख्त कदम उठाकर बीमारी को घर नहीं करने दिया जाए। लाॅकडाउन में इजाफा हो या नहीं हम तो 30 अप्रैल से पहले किसी को प्रवेेश नहीं देने वाले।
सब्जियां लेने के लिए शहर से गांव आ रहे थे लोग, ग्रामीणों ने सारे रास्ते ही सील कर दिए
सब्जियों की चाह में आने वालों के लिए कनाड़िया गांव के लोगों ने कड़े कदम उठाए हैं। इसकी बानगी गायत्री मंदिर से थोड़ा आगे बढ़ते ही नजर आने लगती है। मुख्य रास्ते पर बैरिकेड्स लगाकर चार से पांच ग्रामीण मौजूद थे, जो हर आने जाने वाले की पहचानकरने के बाद ही गांव में जानेकी इजाजत दे रहे थे। इंदौर वालों केलिए तो बिलकुल ही मनाही थी।
दिलीप मारू ने बताया कि आए दिन लोग गाड़ियां लेकर आलू-प्याज, टमाटर सहित अन्य सब्जियों के लिए यहां आ रहे थे। इससे गांव में भी बीमारी फैलने का खतरा था। सभी गांव वालों ने मिलकर तय किया कि किसी भी बाहरी व्यक्ति को प्रवेश नहीं दिया जाएगा। दस दिन से गांव में केवल उन्हीं लोगों को प्रवेश दिया जा रहा है जो गांव से दूध बांटने या किसी अन्य काम से बाहर गए हों।
उनकी गाड़ियां भी सैनिटाइज करने के बाद ही आने दी जा रही हैं।
आवाजाही रोकने गलियों में बुजुर्ग खटिया डाल बैठ रहे
गांव के मुख्य मार्ग पर रहने वाले ओम चौधरी और पुखराज जैन ने बताया कि मुख्य मार्ग के अलावा गांव में जाने के लिए गलियां भी हैं। उन पर भी गांव के बुजुर्ग खटिया डालकर बैठे हैं। जगदीश मंडलोई ने बताया गांव में वैसे सब्जियां नहीं उगाई जाती, लेकिन लोग सब्जियों की उम्मीद में बिचौली मर्दाना और झलारिया के रास्ते यहां आ रहे थे। शुरुआत में तो हाल इतने बुरे थे कि बाहर से आने वालों के कारण मुख्य मार्ग पर सुबह जाम लग जाता था।
बायपास से पहले पुलिस का चेकिंग पॉइंट, पर बेअसर
सब्जियों के लालच में गांव का रुख करने वालों लोग रविवार से गांव की सीमा में ही नहीं घुस पाएंगे। ग्रामीणों की शिकायत के बाद कनाड़िया पुलिस रविवार से गांव की सीमा पर चेकिंग करेगी। सिर्फ गांव वाले ही इसके आगे जा सकेंगे। हालांकि बायपास के पहले पुलिस का चेक पॉइंट जरूर है, लेकिन वहां इतनी सख्ती नहीं होने के कारण लोग आ-जा रहे थे। इसके अलावा अन्य छोटे रास्तों से भी कनाड़िया में जा रहे थे। अब मुश्किल होगी।
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