कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन में मृतकों का मोक्ष भी फंस गया है। इस दौरान होने वाली मौतों में अंतिम संस्कार के बाद न तो पिंडदान हो पा रहा है और न ही नर्मदा/गंगा में अस्थियों का विसर्जन। ऐसे में परिजनों को श्मशान में ही अपनों की अस्थियां रखने को विवश होना पड़ रहा है। लॉकडाउन हटने के बाद ही इन अस्थियों का विसर्जन हो सकेगा। शहर के प्रमुख पांच विश्रामघाटों की बात करें तो सबसे ज्यादा अस्थि कलश रखवाने वालों में सुभाषनगर विश्रामघाट है। विश्रामघाट ट्रस्ट के प्रबंधक शोभराज सुखानी के अनुसार अस्थि कलश रखने वालों की संख्या सामान्य दिनों की अपेक्षा दोगुनी से ज्यादा हो गई है, हालांकि कुछ लोग अस्थि कलश अपने साथ ही ले जा रहे हैं, जिन्हें वे घर के बाहर बगीचे में किसी पेड़ पर लॉकडाउन हटने के इंतजार में लटका रहे हैं। इधर, शोभराज ने यह भी बताया कि हमने शासन को पत्र लिखकर श्मशान में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए मास्क और अन्य सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराने की मांग की है। सुभाष नगर श्मशान घाट में 5 कर्मचारी हैं, जबकि छोला और चांदबड में एक-एक कर्मचारी है।
श्मशान में अंतिम संस्कारों का आंकड़ा कम हुआ
लॉकडाउन के बाद शहर के पांचों बड़े विश्रामघाटों में अंतिम संस्कारों की संख्या आम दिनों की अपेक्षा आधी से भी कम हो गई है। दरअसल, इसके पीछे की मुख्य वजह शहरबंदी के चलते सड़क हादसों का नहीं होना है। साथ ही हत्या या आत्महत्या के मामले भी कम हो गए हैं। इसलिए विश्रामघटों में सामान्य मौतों के ही अंतिम संस्कार हो रहे हैं। विश्रामघाट ट्रस्ट के प्रबंधक शोभराज सुखानी के अनुसार 1 मार्च से 31 मार्च तक 224 अंतिम संस्कार किए गए, जबकि 1 अप्रैल से 10 अप्रैल तक 59 अंतिम संस्कार ही हुए हैं।
सुभाष नगर श्मशान में 2 साल से बंद है विद्युत शवदाह गृह
सुभाषनगर स्थित शहर का एकमात्र विद्युत शवदाह गृह दो साल से बंद है। 2 साल पहले इसे अपग्रेड करने के लिए बंद किया गया था। पुरानी इमारत को भी तोड़ दिया गया है। शोभराज कहते हैं कि अगर कोरोना संक्रमण के कारण कोई मौत होती है तो विद्युत शवदाह गृह अंतिम संस्कार के लिए सबसे उपयुक्त होगा। यह अंतिम संस्कार करने वाले कर्मचारियों और मृतक के परिजनों के लिए भी सुरक्षित होगा।
पहले कोरोना का विसर्जन
यही सच्ची श्रद्धांजलि... कई परिवारों ने अंतिम संस्कार के बाद अस्थियां सिर्फ इसलिए सहेज रखी हैं, क्योंकि अभी लॉकडाउन है। परिजनों का कहना है इस वक्त कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकना ही अपनों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। अस्थि विसर्जन तो बाद में भी कर लेंगे।
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