काेरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए किए गए लॉकडाउन के कारण सिर्फ लोगों की दिनचर्या ही नहीं बदली बल्कि रीति रिवाज, यहां तक कि अंतिम संस्कार पर भी असर दिखाई दे रहा है। अंतिम संस्कार की रस्मों के लिए जिस सामग्री की जरूरत होती है, उसे जुटाना भी मुश्किल पड़ रहा है। संस्कार के बाद अस्थि विसर्जन के लिए पवित्र नदियों के तट पर जाने की व्यवस्था न होने के कारण लोगों ने पेड़ों पर इस संकल्प के साथ अस्थियां टांग दी हैं कि जब लॉकडाउन खुलेगा, तब इस क्रिया को पूरा करेंगे।
अस्थियोंके लॉकर फुल
फालका बाजार स्थित बगीची और महाराज बाड़ा के पास स्थित गुरुद्वारे में अस्थियां रखने के लिए लॉकर की व्यवस्था है। फालका बाजार बगीची की देखरेख करने वाले लोगों का कहना है कि लॉकर फुल होने के कारण अब लोग पेड़ों पर अस्थि कलश टांगकर जा रहे हैं। वहीं सिंधी समाज के गुरुद्वारे में लॉकर पूरे भर चुके हैं।
रतनलाल, सिकंदर कंपू के मुताबिक,पिताजी का स्वर्गवास पांच अप्रैल को हुआ था। बाजार बंद होने के कारण अंतिम संस्कार सहित अन्य रस्मों के लिए सामग्री जुटाना भी मुश्किल हो गया।
हरीश ब्रिजवानी का कहना है कि भाभी का निधन 30 मार्च को हुआ था। रिश्तेदार नहीं आ पाए। अंतिम संस्कार सहित अन्य रस्मों को सीमित संसाधन और लोगों के साथ करना पड़ा।
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