शहर को कोरोना के संक्रमण से बचाने के लिए लाॅकडाउन में दिन-रात ड्यूटी कर रहे पुलिसकर्मियों काे 40 दिन में पहली बार वीकली ऑफ दिया गया। पुलिसकर्मियों को इस एक दिन के अवकाश ने बड़ी राहत दी। कोई घर के लिए राशन लाया तो किसी ने पूरा दिन परिवार के साथ बिताया। रामायण से लेकर मूवी तक परिवार के साथ बैठकर देखी। जनता कर्फ्यू का ऐलान होते ही 20 मार्च को सभी पुलिसकर्मियों के अवकाश और वीकली ऑफ रद्द कर दिए गए थे, तभी से पुलिसकर्मी दिन-रात ड्यूटी में शहर की सीमा से लेकर शहर के अंदर सड़कों पर तैनात हैं। एसपी नवनीत भसीन ने बुधवार रात को ही वायरलैस सेट पर आने के साथ वीकली ऑफ देने का आदेश जारी दिया था। गुरुवार को करीब 230 पुलिसकर्मियों को वीकली ऑफ मिला।
मैं और पत्नी 40 दिन बाद एक साथ घर पर थे
-विनय शर्मा, सब इंस्पेक्टर, थाना कोतवाली के मुताबिक, मैं और मेरी पत्नी कोतवाली थाने में ही एसआई हैं। 15 मार्च के बाद गुरूवार को मैं वीकली ऑफ मिलने से घर पर रुक पाया। पत्नी का वीकली ऑफ नहीं था, लेकिन शाम की ड्यूटी थी इसलिए वो भी सुबह घर पर थी। मैं और पत्नी 40 दिन बाद एकसाथ घर में थे। मां ने मेरे लिए पावभाजी बनाई, मुझे बहुत पसंद है। पूरे परिवार ने सुबह का नाश्ता रामायण देखते हुए किया। फिर दोपहर का खाना भी साथ खाया। इस एक दिन के अवकाश से पूरा स्ट्रेस उतर गया।
बच्चाें के साथ खाना खाया और मूवी भी देखी
सुघर सिंह, हवलदार, थाना झांसी रोड के मुताबिक, लॉकडाउन की ड्यूटी की वजह से बच्चों के साथ डेढ़ महीने से नहीं बैठा था। इसलिए छुट्टी मिलने पर सुबह घर का राशन भरा और जरूरी सामान खरीदा। फिर बच्चों के साथ खाना और मूवी देखी। एक दिन के अवकाश में ही रिलेक्स हो गया। -
माता-पिता और मंगेतर से बात की, राशन भी खरीदा
-राहुल पाटीदार, सब इंस्पेक्टर, थाना झांसी रोड के मुताबिक, मेरी 26 अप्रैल को शादी थी, लेकिन लॉकडाउन में ड्यूटी के कारण शादी की तारीख आगे बढ़ा दी। मैं मक्सी का रहने वाला हूं इसलिए ड्यूटी की वजह से माता-पिता और मंगेतर से बात ही नहीं हो पाती थी। गुरूवार को 40 दिन बाद अवकाश मिला। मैंने माता-पिता और पूरे परिवार से वीडियो कॉल पर बात की। बाजार जाकर सामान खरीदकर लाया। कई दिनों बाद दिन में नींद ली।
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