कोरोना महामारी और इसके चलते आए लॉकडाउन ने हजारों लोगों को बेरोजगार कर दिया है। खासकर रोजगार की तलाश में यहां से पलायन कर दूसरे जिलों व राज्यों में गए लोग भी वापसी कर चुके हैं और इन्होंने लॉकडाउन के कारण कार्य स्थल से लेकर घर पहुंचने के सफर में जो त्रासदी झेली है, उसे देख ये वापस जाना नहीं चाहते हैं। ऐसे में इन्हें स्थानीय स्तर पर ही काम दिलाने का प्रबंध शासन-प्रशासन को करना है। सही प्रयास किए जाएं तो ये मुश्किल नहीं क्योंकि जितने मजदूरों ने वापसी की है, लगभग उतने ही बाहरी मजदूर यहां से भी उनके घर चले गए हैं। ऐसे में बाहर से आए स्थानीय मजदूरों को उनकी जगह रिप्लेस कर दें तो सबको रोजगार देना आसान होगा। वहीं इस विकल्प के अलावा प्रशासन ने बेरोजगार एवं प्रवासी मजदूरों का स्किल ग्रेडिंग सर्वे भी शुरू कर दिया है।
जनपद सीईओ आर.बी.एस. दंडोतिया ने बताया जावरा ग्रामीण क्षेत्र में करीब 1150 मजदूर दूसरे राज्यों से वापस आए तथा लगभग 500 से ज्यादा मजदूर मप्र के ही दूसरे जिलों से लौटकर यहां आए हैं। चूंकि मजदूरों की घर वापसी का सिलसिला जारी है, इसलिए ये तादाद थोड़ी बढ़ सकती है। ऐसे सभी मजदूर व बेरोजगारों का हर ग्राम पंचायत स्तर पर स्किल ग्रेडिंग सर्वे करवाया जा रहा है। इसमें देखा जा रहा है कि कौन बेरोजगार या प्रवासी मजदूर क्या योग्यता रखता है। उसे कैसा हुनर याद है, जैसे वह मिस्त्री, मैकेनिक, प्लंबर, वेंडर या मशीनिस्ट है अथवा शिक्षित तो है लेकिन प्रशिक्षित नहीं है। इन सभी को ग्रेड अनुसार लिस्टेड कर रहे हैं। 3 जून तक इनके डाटा ऑनलाइन पोर्टल पर अपडेट कर देंगे।
फिर श्रम विभाग एवं उद्योग विभाग इनसे को-ऑर्डिनेशन करके योग्यता अनुसार इन लोगों को स्थानीय लघु एवं वृहद उद्योगों में काम दिलाने की व्यवस्था करेगा। जाे उद्योग में काम नहीं कर सकता या उसमें वैसा कौशल नहीं है तो अन्य कोई व्यवस्था कर रोजगार दिलाया जाएगा। नगर में भी बाहर से आए मजदूरों और बेरोजगारों का सर्वे शुरू हो गया। हालांकि यहां स्किल सर्वे ना होकर सामान्य सर्वे है ताकि इन लोगों को संबल समेत अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जा सके। भविष्य में नगरीय क्षेत्र के लिए भी कार्य कौशल अनुसार रोजगार दिलाने की कार्ययोजना बनाई जा सकती है।
उद्योग कम इसलिए सबको रोजगार देने की चुनौती
ग्रामीण क्षेत्र में स्किल सर्वे जरूर शुरू हो गया लेकिन सबको स्थानीय उद्योगों में रोजगार दिलाने का प्रयास चुनौतीभरा है। क्षेत्र में दो फ्लोअर मिल, एक तेल प्लांट को छोड़ दें तो कोई बड़ा उद्योग नहीं है। शॉर्टेक्स प्लांट, पैकिंग प्लांट व केचअप बनाने जैसे तो 70 लघु उद्योग हैं लेकिन इनमें इतनी तादाद में मजदूर चाहिए अथवा नहीं, यह अभी स्पष्ट नहीं है। ऐसे में सबको रोजगार दिलाना चुनौतीभरा काम है।
यदि सर्वे टीम आप तक ना पहुंचे तो आप उन तक पहुंच जाएं- ग्राम पंचायत एवं नगरपालिका स्तर पर अलग-अलग सर्वे चल रहे हैं। वैसे तो प्रशासन ने सर्वे टीम बनाई है लेकिन यदि कोई सर्वे टीम किसी मजदूर या बेरोजगार तक नहीं पहुंचती है तो वे खुद भी पंचायत, जनपद या नपा में आवेदन देकर संपर्क कर सकते हैं ताकि सर्वे में नाम शामिल किया जा सके।
जब 50 लोगों की मौजूदगी में शादी हो रही तो बैंड बजाने की अनुमति दें
इधर, सकल दमामी समाज ने विधायक एवं प्रशासन से मांग की है कि 50 लोगों की मौजूदगी में शादी-ब्याह की छूट मिलने लगी है। इन समारोह में डिस्टेंसिंग व मास्क जैसी सावधानी के साथ बैंडबाजा वालों को भी अनुमति दें ताकि हमें रोजगार मिल सके और शादी आयोजकों को भी शहनाई की गूंज सुनाई दे। वे भी गाजे-बाजे के साथ खुशियां बांट सकें। समाज के प्रदीप बारोड़ ने बताया लॉकडाउन के कारण दमामी समाज बेरोजगार है। पूरा सीजन निकल गया और काम नहीं मिला। आर्थिक सहायता के साथ ही शादियों में बैंडबाजा की अनुमति भी दी जाए।
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