
समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी भले ही बंद हो गई लेकिन प्रशासन की परेशानी अब भी खत्म नहीं हुई है। गेहूं के संग्रहण के लिए जितने गोदाम बनाए थे वे फुल होने वाले हैं। हजारों क्विंटल उपज खुले में ही रखना पड़ेगा। इधर मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार 6 जून से पहले बारिश के आसार हैं। ऐसे में अगर जल्द ही उपज को खुले से नहीं उठाई तो भीग सकती है। इससे गेहूंखराब होने की आशंका है। आंकड़ों के अनुसार 20 हजार मीट्रिक टन गेहूं खुले में रखा है। जितने गोदाम प्रशासन ने लिए थे उनमें भी 13 हजार मीट्रिक टन उपज रखने की ही क्षमता है। ऐसे में 7 हजार मीट्रिक टन गेहूं रखने के लिए जगह नहीं है।
15 अप्रैल से सरकार ने समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी शुरू की थी। 65 केंद्रों को मिलाकर 39 हजार किसानों ने सरकार को गेहूं बेचने के लिए पंजीयन कराया था। इनमें से 33 हजार किसानों ने उपज बेची और 7 हजार किसान मैसेज मिलने के बाद भी केंद्रों पर नहीं पहुंचे। बावजूद 45 दिन में 2.35 लाख मीट्रिक टन गेहूं केंद्रों पर बेचा गया। ऐसी संभावना थी कि अगर बचे हुए किसान भी गेहूं सरकार को बेचते ताे खरीदी चार गुना हो सकती थी। चूंकि खरीदी की अंतिम तारीख से कुछ दिन पहले ही मंडी शुरू हो गई और किसानों को गेहूं बेचने की छूट मिल गई। ऐसे में पंजीकृत 7 हजार किसान केंद्रों पर नहीं पहुंचे। सरकारी गेहूं को रखने के लिए प्रशासन ने करीब 50 गोदामों की व्यवस्था की थी। खरीदे गए गेहूं में से 2 लाख मीट्रिक टन गेहूं गोदामों में पहुंच गए हैं। 15 टन गेहूं को बाहर भेज दिया गया। अब बचा 20 हजार टन गेहूं, जिसका स्टॉक करना है। गोडाउन की संग्रहण क्षमता अनुसार अब भी 13 हजार टन गेहूं रख सकते हैं। चूंकि ज्यादातर गोडाउन फुल हो गए हैं और गिने-चुने गोडाउन बचे हैं। ऐसे में परिवहन में समय लग रहा है। खरीदा गेहूं कुछ कट्टों में भरा है तो कुछ खुले में ढेर के रूप में है। 7 हजार मीट्रिक टन यानी 50 से 60 हजार क्विंटल गेहूं रखने के लिए जगह का अभाव है। इन्हें बाहर भेजना है या अस्थायी तौर पर शेड बनाकर संग्रहण करना है। इसकी अभी कोई प्लानिंग नहीं है। अगर तेज बारिश होती है तो एकदम से इतनी उपज को ठिकाने लगाना प्रशासन के लिए चुनौती बन गया है।
पिछली बार 60 हजार मीट्रिक टन ही गेहूं आए थे
हर बार समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के लिए पंजीकृत किसानों में से 50 से 60 फीसदी ही रुचि दिखाते इस बार 85 फीसदी किसानों ने सरकार को गेहूं बेचा है। जो पिछले साल के मुकाबले 25 फीसदी ज्यादा है। पिछली बार समर्थन में खरीदी करीब 60 हजार मीट्रिक टन हुई थी। इस बार 2.35 लाख मीट्रिक टन की आवक ने सारी व्यवस्थाओं को बिगाड़ दिया है।
बारिश हुई तो गेहूं हो जाएंगे खराब, होगा बड़ा नुकसान
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार हफ्तेभर में बारिश के आसार हैं और दो-तीन दिन में बारिश हो सकती है। यदि ऐसा हुआ तो खरीदी केंद्रों पर खुले में पड़ा गेहूं भीगने से खराब होने की आशंका बढ़ जाएगी। पहले ही 15 हजार मीट्रिक टन गेहूं बाहर भेजा जा चुका है। अब 7 हजार टन गेहूं को बाहर भेजना है या स्थानीयस्तर पर व्यवस्था जुटाना है, इस पर विचार चल रहा है।
गेहूं को रखने के लिए विकल्प तलाश रहे हैं
वेयरहाउस प्रभारी विपिन लाड़ ने बताया गोडाउन में जगह नहीं बचने के बाद जो गेहूं बाहर खुले में रह जाएंगे उन्हें संग्रहण के लिए विकल्प तलाशे जा रहे हैं। अगर कोई ऑप्शन नहीं मिला तो मंडी शेड में रखना पड़ सकता है।
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