लाॅकडाउन के दौरान किसानों को फल, सब्जी बेचने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा। खेतों के बाहर रोड पर धूप में खड़े रहकर लोगों को बुला- बुला कर ओने पौने दामों पर बेचना पड़ रहे हैं। इससे लागत भी नहीं निकल रही। अहमद के किसान श्रीराम पाटीदार ने बताया प्रतिवर्ष 2 बीघा खेत में तरबूज की खेती करते हैं।
3 वर्षों से तरबूज की बोवनी कर लंबी दूरी से पाइप लाइन बिछाकर पानी खींच कर 30 हजार रु. खर्च कर फसल तैयार की। जब फसल तैयार हुई ताे लाॅकडाउन की वजह से परिवहन नहीं कर पा रहे हैं। पिछले दाे साल 12 रु. किलाे के भाव से व्यापारी खेत से तरबूज उठाकर ले गए। इस बार व्यापारियाें के नहीं आने से बाइक वाले घर-घर जाकर बेच रहे हैं उन्हें बुला कर 5 से 7 रु. किलो में बेच रहे हैं। इसके लिए उन्हें धूप में खेत के बाहर बैठना पड़ रहा है। खराब होने के डर से उधार में भी बेच रहे है। एक बीघा में लगभग 150 क्विंटल उत्पादन हुआ। सरपंच भोलाराम पाटीदार ने बताया ढाई बीघा में खरबूज लगाए थे। 22 से 25 रु. किलो थोक भाव में खेत से ही सारा माल बिक जाता था। इस बार 12 से 15 रु. किलो के भाव बेचना पड़ रहे। इसके लिए 1200 फीट पाइप लाइन बिछाकर 45000 रु. खर्च किए। एक बीघा में 100 क्विंटल का उत्पादन हुआ। लाॅकडाउन में न तो खरबूज बेच पा रहे हैं और ना ग्राहक आ रहे हैं। मजबूरी में राह गुजरने वाले लोगों को बेचना पड़ रहे हैं।
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