तीसरे लॉकडाउन की शुरुआत सोमवार से हो रही है। पिछले दो लॉकडाउन की तुलना करें तो सैंपलिंग दोगुना हो गई है। लेकिन रिकवरी दर में पांच गुना बढ़ोतरी हुई है और वहीं मृत्यु दर काफी कम हुई है। एेसे में संकेत हैं कि अब तीसरे लॉकडाउन के दौरान इंदौर में तेजी से सुधार होगा, क्योंकि टेस्ट पॉजिटिव रेट भी 10% के नीचे सैटल होते नजर आ रहा है। बीते चार दिनों से यह चार से दस फीसदी के बीच चल रहा है।
पीपीई किट पहनने के बाद स्टाफ की तबीयत बिगड़ी, ताबड़तोड़ किट बदलवाए
कोरोना से लड़ने के लिए चिकित्सकीय स्टाफ किन मुश्किलों से काम कर रहा है, इसका ताजा मामला एमवाय में सामने आया। फ्लू-ओपीडी में शनिवार सुबह स्टाफ के 2 कर्मचारी पीपीई पहनने के कुछ देर बाद घबरा गए। पसीना-पसीना हो गए। उन्हें तुरंत कैजुअल्टी ले जाया गया, जहां उनकी जांच की गई। इसी तरह की समस्या एमटीएच अस्पताल में भी एक कर्मचारी ने दर्ज करवाई।
अस्पताल प्रशासन का कहना है कि यही किट स्टाफ के अन्य सदस्यों ने भी पहनी थी। सिर्फ दो लोगों को बेचैनी महसूस हुई। तत्काल उन्हें बदलकर दूसरी किट दे दी गई थी। जानकारी के अनुसार ओपीडी में शनिवार को एक वार्ड बॉय और शासकीय नर्सिंग कॉलेज की छात्रा को पीपीई किट पहनने के कुछ देर बाद ही घबराहट और बेचैनी महसूस होने लगी। चंद मिनटों में ही वह पसीना-पसीना हो गई और घबराहट के मारे गिरने की स्थिति में आ गई। अन्य स्टाफ दौड़ते हुए पहुंचा और उसे पंखे के नीचे लेटाया। इसकी सूचना अस्पताल प्रशासन को मिली। ताबड़तोड़ किट बदलकर दूसरी किट उपलब्ध करवाई गई। स्टाफ का कहना है कि किट की क्वालिटी अच्छी नहीं थी। इससे गर्मी बढ़ गई। यह प्लास्टिक के मटेरियल के बने थे। अंदर भी लेमिनेटेड लेयर थी। गर्मी बढ़ने से पसीना-पसीना हो गए और घबराहट होने लगी। वैसे भी इन दिनों तापमान 40 डिग्री के आसपास चल रहा है। ऐसे में पीपीई पहनकर काम करना दुरूह कार्य है।
अधीक्षक डॉक्टर पीएस ठाकुर ने बताया कि किट की क्वालिटी में कोई खराबी नहीं है क्योंकि उस दिन सभी को यह किट उपलब्ध करवाई गई थी। अन्य स्टाफ ने भी यही किट पहनी थी। किसी को परेशानी नहीं हुई। दो लोगों को डिहाइड्रेशन की शिकायत हो गई थी। किट पहनने के बाद उन्हें गर्मी ज्यादा लगी। उन्हें बदलकर दूसरी किट दे दी गई थी।
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