विश्व पर्यावरण दिवस पर नगर निगम ने गोबर के गमले बनाने की अनूठी पहल की है। इससे शहर में हर साल 12 लाख काली पॉलिथीन की खपत कम होगी। पॉलिथीन 25 पैसे की पड़ती है, जबकि गोबर का गमला 50 पैसे का पड़ेगा।
निगमायुक्त प्रतिभा पाल ने चिड़ियाघर में शुक्रवार को गोबर के गमले बनाने के अभियान की शुरुआत की। उन्होंने बताया कि नर्सरी में पौधे तैयार करने के लिए काली पॉलिथीन की जरूरत पड़ती है। अकसर लोग पौधा लगाने के बाद या तो उसे फेंक देते हैं या मिट्टी में ही गाड़ देते हैं। इसका बेहतर विकल्प गोबर का गमला है। एक एनजीओ के साथ शुक्रवार से प्रयोग शुरू किया गया है। पहले ही दिन संस्था के कर्मचारियों ने गोबर के 400 गमले तैयार किए। संस्था के श्रीगोपाल जगताप ने बताया कि निगम की नर्सरी को साल में छह लाख पौधे तैयार करने के लिए काली पॉलिथीन लगती है। इसके अलावा शहर में 60 नर्सरी हैं। यहां भी छह लाख के लगभग काली पॉलिथीन लगती है।
पर्यावरण दिवस पर निगम की पहल
साथ शुक्रवार से प्रयोग शुरू किया गया है। पहले ही दिन संस्था के कर्मचारियों ने गोबर के 400 गमले तैयार किए। संस्था के श्रीगोपाल जगताप ने बताया कि निगम की नर्सरी को साल में छह लाख पौधे तैयार करने के लिए काली पॉलिथीन लगती है। इसके अलावा शहर में 60 नर्सरी हैं। यहां भी छह लाख के लगभग काली पॉलिथीन लगती है।
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