राज्य शासन के लोक निर्माण विभाग द्वारा 4बार टेंडर करके बमुश्किल भिड़ारी रनेह मार्ग का काम आरंभ किया और कुछ हिस्सा छोड़कर काफी कुछ काम संतोषजनक स्थिति में भी पहुंच चुका है। लेकिन इस मार्ग के रसीलपुर तिराहा से लगा लगभग 5 सौ मीटर भाग निर्माण एजेंसी द्वारा बिना बने ही छोड़ दिया गया।
इसके कारण रनेह कुंअरपुर भिड़ारी आदि अनेक ग्राम के लोगों को इस भाग में उबड़ खाबड़ रास्ते का ही उपयोग करने मजबूर होना पड़ेगा। जानकारी लेने पर खुलासा हुआ कि 2012 में उस दौरान हुए रोड निर्माण के समय तत्कालीन रोड निर्माण एजेंसी ग्रामीण अभियांत्रिकी सेवा के अधिकारिओं की लापरवाही के कारण निजी भूमि स्वामी सरमान मोदी ने लगभग 5 सौ मीटर रोड निर्माण पर उच्च न्यायालय जबलपुर से स्थगन प्राप्त कर लिया था। तभी से मार्ग का उतना हिस्सा छूटा हुआ है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि जिस खसरा नंबर 272/1के भू भाग पर भूमि स्वामी सरमन मोदी द्वारा अपना दावा कर स्थगन लिया गया था उस भूमि को एक अन्य व्यहारवाद में हटा के व्यवहार न्यायालय ने मोदी की भूमि मानने से इंकार कर उक्त भूमि शासन के पक्ष में दर्ज करने का आदेश दे दिया था जिसे बाद में उच्च न्यायालय ने स्थगन दे दिया था लेकिन व्यवहार न्यायलय के आदेश का लाभ भिड़ारी रनेह को नहीं मिला और आज भी प्रकरण न्यायालय में लंबित होने के कारण सड़क का निर्माण छोड़ दिया गया है।
इस संबंध में सड़क निर्माण के आपत्तिकर्ता सरमन मोदी के परिजनों का कहना है कि सड़क निर्माण के ठेकेदार की दादागिरी के करण स्थगन लिया था लेकिन विभाग के अधिकारिओं ने संपर्क नहीं किया जिसके कारण रोड का निर्माण नहीं हो पाया। लोक निर्माण विभाग के प्रभारी उप यंत्री राकेश अग्रवाल का कहना है कि कोर्ट के स्थगन और भूमि स्वामी की आपत्ति के कारण रसीलपुर तिराहा के पास का कुछ हिस्सा छोड़ दिया है।
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