
कुछ करने वालों के लिए लॉकडाउन भी अच्छा मौका रहा। नगर निगम उद्यान विभाग के कर्मचारियों ने इन दो महीनों में अपने उद्यानों के लिए 5 हजार नए पौधे तैयार कर दिए। ये पौधे बिना खर्च के तैयार किए गए। कर्मचारियों ने हरे नारियल के छिलकों और कचरे से इनके लिए खाद बनाई। मिट्टी के साथ इस खाद को मिलाकर उनमें कलमें लगाईं। अब ये पौधे रोपण के लिए तैयार हैं।
निगम के शहर में 350 से ज्यादा उद्यान हैं। 15 डिवाइडर हैं, जिनमें पौधे लगे हैं। लॉकडाउन के दौरान उद्यानों और डिवाइडरों में पौधों की देखभाल प्रभावित हुई है। इनमें खराब हो चुके पौधों को बदलने और खाली जगह पर बारिश के दौरान पौधे लगाने के लिए निगम की देवासरोड पर श्रीविशाला में स्थित नर्सरी में तैयारी की जा रही है। यहां तैनात कर्मचारी पौधारोपण का सीजन शुरू होने के पहले पौधे तैयार कर रहे हैं ताकि निगम को बाजार से पौधों की खरीदी नहीं करना पड़े। इसके लिए कर्मचारियों ने हरे नारियल के छिलकों व कचरे से खाद बनाई। इस खाद को मिट्टी के साथ मिला कर इनमें कलमें लगाईं। दो महीने तक कर्मचारियों द्वारा की गई मेहनत का नतीजा है कि यहां अब 5 हजार पौधे तैयार हो गए हैं। महापौर मीना जोनवाल को जब नर्सरी में पौधे तैयार होने की जानकारी दी गई तो उन्होंने वहां जाकर कर्मचारियों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कर्मचारियों ने लॉकडाउन में अपना काम करने के साथ पौधे तैयार करने की अतिरिक्त कुशलता दिखाई है।
हर साल पौधे खरीदने में 20 लाख रुपए खर्च
नगर निगम बारिश में पौधों की खरीद पर औसत 20 लाख रुपए हर साल खर्च करता है। निगम के उद्यानों, डिवाइडर और कार्यालय परिसरों में पौधे लगाए जाते हैं। कर्मचारियों द्वारा तैयार किए गए पौधों के कारण निगम का खर्च बचेगा। नर्सरी में छायादार जैसे बरगद, नीम, आम के साथ चंपा, नाग चंपा व अन्य पौधे तैयार किए गए हैं।
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