
आरोन बायपास निर्माण हुए करीब चार वर्ष के लगभग हो गए हैं। यह बायपास कस्बे से लगे करीब सात गांवों की आबादी को जोड़ता है। बायपास की लंबाई करीब 5.50 किमी है। लेकिन बायपास पर एक भी संकेतक नहीं लगाए गए हैं और न ही स्ट्रीट लाइट लगाई गई। जिससे यहां अंधेरा रहता है। इस लापरवाही का खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रह है।
पिछले तीन साल से अधिक समय गुजरने के बाद यहां कम से कम दो दर्जन हादसे हो चुके हैं। इसमें दो दर्जन से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इन हादसों की वजह वाहन चालकों की लापरवाही हो सकती है लेकिन सड़क बनाने वाली एजेंसियों की जिम्मेदारी भी कम नहीं है। इस पूरे बायपास के दौरान हर आधा किमी पर कोई न कोई कच्चा या पक्का ग्रामीण रास्ता जुड़ता है। यह सड़कें सीधे समकोण पर जुड़ती है और बायपास पर तेज रफ्तार से आने वाले वाहनों को पता ही नहीं चलता है कि आगे किसी रास्ते की क्रॉसिंग है।
पूरे रास्ते के दौरान खतरनाक घुमाव हैं, जिनकी पूर्व सूचना देने वाला कोई साइन बोर्ड नहीं है। यही वजह है कि इस बायपास पर लगातार हादसे होते रहते हैं। इस समस्या को कई बार प्रमुखता से उठाने के बाद जिम्मेदार विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
हादसे रोकने करेंगे व्यवस्था
वहीं गांव से जो सड़क आकर मिल रही हैं उन पर संकेतक चिन्ह लगाए जाना चाहिए। जिससे वाहनों की रफ्तार कम होगी। संकेतक चिन्ह या बोर्ड लगाए जाने के संबंध में पत्र लिखकर संबंधित विभाग से चर्चा करेंगे।
अरविंद तोमर, थाना प्रभारी आरोन
एक दर्जन गांवों के रास्ते जुड़ते हैं बायपास से
यह बायपास आरोन से पहले शुरू होकर सिरोंज रोड पर बावड़ी के पास आकर खुलता है। इसमें सिरसी, खामखेड़ा, खामखेड़ा मोहरी, बमूरिया के अलावा वृंदावन, पनवाड़ी सिरसी, मूडराखुर्द, कुम्हार बस्ती, व गांव का कच्चा रास्ता और आरोन कस्बे के बाहरी इलाकों के दो रास्ते मिलते हैं। इन रास्तों पर सबसे ज्यादा बाइक सवार आते-जाते हैं। यह रास्ते सीधे 90 डिग्री पर पर इस बायपास से मिलते हैं। इन्हें व्यवस्थित नहीं बनाया गया है। इसलिए बाइक सवार सीधे बायपास पर आते हैं और तेज रफ्तार भारी वाहनों से उनकी टक्कर हो जाती है। उनमें से दो की जान चली गई थी।
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