शहर व जिले में तेजी से संक्रमण का खतरा बढ़ता जा रहा है। मरीजों की संख्या बढ़कर 1056 हो गई है। इसकी बड़ी वजह अनलॉक में लोगों द्वारा प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन नहीं किया जाना है। सप्ताह में 2 दिन लॉकडाउन ही इसका उपाय है क्योंकि जिला प्रशासन द्वारा सख्ती बरतने के बाद भी लोग स्वेच्छा से न तो मास्क लगा रहे हैं और न सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं। इस लापरवाही का असर त्योहारों पर ज्यादा हो सकता है। विशेषज्ञों का भी मानना है लॉकडाउन में लोगों के कांटेक्ट कम होते हैं, उनमें अवेयरनेस आती है, इससे चैन ब्रेक होने में आसानी होगी। कोविड-19 के नोडल अधिकारी डॉ. एचपी सोनानिया ने बताया वर्तमान में जो लोग पॉजिटिव पाए गए हैं, उनकी कांट्रेक्ट व ट्रैवलिंग हिस्ट्री रही है। लोगों के संपर्क लगातार बढ़ रहे हैं और इस वजह से मरीज भी बढ़ रहे हैं।
ऐसे हो रहे लोग संक्रमित
- वृंदावन धाम कॉलोनी में रहने वाले दंपती 18 जुलाई को पुणे से आए थे। दोनों ही संक्रमित पाए गए हैं।
- निजातपुरा में रहने वाली 45 साल की महिला का सीहोर में ससुराल है। वह 13 दिन पहले उज्जैन आई थी। महिला संक्रमित पाई गई है।
- नीमच में रहने वाले 35 साल के युवक को उसका भाई निवासी विनोद मिल की चाल उज्जैन लेकर आया था, जो संक्रमित पाया गया।
इनके अलावा मावे की दुकान संचालित करने वाले, आयुर्वेदिक प्रोडक्ट की कंपनी में एमआर, प्राइवेट बैंक में कार्यरत व शासकीय कार्यालयों में सेवारत लोग भी पॉजिटिव पाए गए हैं।
ये उपाय हो सकते कारगर
- 5 दिन वर्किंग-डे व 2 दिन लॉकडाउन। इससे कनेक्टिविटी कम होगी और चैन ब्रेक में आसानी होगी।
- बॉर्डर पर स्क्रीनिंग। इससे पता चल जाएगा कि कोई बीमार व्यक्ति तो शहर में प्रवेश नहीं कर रहा है।
- बैंक व शॉपिंग मॉल सहित ऐसे सार्वजनिक स्थान जहां पर लोगों की भीड़ लगती है वहां के स्टाफ की लगातार स्क्रीनिंग और सैंपलिंग।
लोग पालन नहीं कर रहे
^कांटेक्ट बढ़ने और ट्रैवलिंग की वजह से ज्यादातर लोग संक्रमित हो रहे हैं। स्वेच्छा से लोग प्रोटोकॉल का पालन नहीं कर रहे हैं। ऐसे में दूसरे उपाय पर जाया जा सकता है। यह प्रशासनिक स्तर का निर्णय है।
डॉ. सुधाकर वैद्य, वरिष्ठ डॉक्टर मेडिकल कॉलेज
पहली बार इतना बड़ा आंकड़ा: 86 में से 30 ए सिमटोमेटिक रोगियों को गाइड लाइन के साथ घरों पर दिया जा रहा इलाज
कोरोना पॉजिटिव 30 रोगियों को उनके घरों पर ही इलाज दिया जा रहा है। घर पर इलाज लेने वाले रोगियों का इतना आंकड़ा पहली बार बढ़ा है। इसकी वजह यह है कि अभी सिमटोमेटिक (लक्षण वाले) की बजाय ए सिमटोमेटिक (बगैर लक्षण वाले) कोरोना पॉजिटिव ज्यादा आ रहे हैं। ये 30 रोगी भी उन्हीं में शामिल है। हालांकि इन्हें इस सुविधा के साथ ही शासन की गाइड लाइन का पालन भी करना पड़ रहा है।
मंगलवार तक जिले में कोरोना के 140 रोगी एक्टिव थे। इनमें से 86 ए सिमटोमेटिक व 54 सिमटोमेटिक हैं। सिमटोमेटिक रोगियों को तो आरडी गार्डी व माधवनगर सहित अन्य अस्पतालों में भर्ती कर इलाज दिया जा रहा है, जबकि ए सिमटोमेटिक 86 में से 30 रोगियों को उनके घरों पर इलाज किया जा रहा है क्योंकि शासन के निर्देश हैं कि बगैर लक्षण वाले ऐसे रोगी, जिनके पास घर पर अलग से रहने की सुविधा हो, उन्हें होम आइसोलेशन में रख इलाज दिया जाए। इन रोगियों को सुबह शाम या शेड्यूल के अनुसार डाॅक्टर घर पर देखने जा रहे हैं। इलाज पूरा होने तक ऐसे रोगियों को भी गाइडलाइन का पालन करना रहता है। माना जा रहा है कि आगे भी यदि ए सिमटोमेटिक रोगियों की संख्या बढ़ती रही तो घरों पर इलाज लेने वाले कोरोना रोगियों का आंकड़ा भी बढ़ता रहेगा।
यह है गाइड लाइन
- अपने कक्ष में रहेंगे, जिसमें लैट-बाथ अटैच हो।
- परिवार के लोगों से मिलेंगे नहीं, ना ही आस पड़ोसियों से।
- खाना खाने व पानी पीने के अपने बर्तन अलग रखेंगे।
- कपड़े अलग अपने पास रखेंगे।
- मास्क पहनकर रहेंगे।
ए सिमटोमेटिक राेगी आ रहे
^अभी ए सिमटोमेटिक मरीज ज्यादा आ रहे हैं। इनमें से ज्यादातर को उनके घर पर ही इलाज दिया जा रहा है।
डाॅ. एचपी सोनानिया, नोडल अधिकारी
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