जावरा फाटक क्षेत्र और आसपास की 14 कॉलोनियों के रहवासियों को अब ट्रेन पकड़ने के लिए घूमकर स्टेशन तक नहीं आना पड़ेगा। कॉनकोर डिपो के बंद होने के बाद वापस मिली जमीन का उपयोग करते हुए रेलवे ने स्टेशन एरिया के विस्तार की योजना बना रहा है। इसके मुताबिक जावरा फाटक तरफ एक नया एंट्री गेट बनेगा। इससे रहवासी सीधे प्लेटफाॅर्म एक व दो से होकर स्टेशन में एरिया में प्रवेश कर सकेंगे।
इतना ही नहीं महू-इंदौर-अजमेर-जयपुर रूट पर चलने वाली यात्री और मालगाड़ियों का मूवमेंट बढ़ाने के लिए एक नया प्लेटफॉर्म भी बनेगा। इसके लिए रेलवे की योजना प्लेटफॉर्म की दूसरी और यानी कंटेनर डिपो वाली तरफ भी ट्रैक बिछाने की है। इसके बाद स्टेशन में प्लेटफॉर्म की संख्या फिर से 7 हो जाएगी। कोविड-19 महामारी के कारण हालांकि योजना को जल्द मंजूरी मिलना मुश्किल है।
नए प्लेटफॉर्म के आकार लेने के बाद यह फायदा होगा
- रेलवे जयपुर-रतलाम-हैदराबाद को दिल्ली-मुंबई की तरह मुख्य लाइन बनाने की योजना बना रहा है। रतलाम रूट का मध्य स्टेशन होने से जंक्शन पाॅइंट बनेगा।
- अभी (फिलहाल लॉकडाउन के कारण बंद) प्लेटफॉर्म एक व दो से रोज 12 यात्री गाड़ियां चल रही हैं। महू-रतलाम-चित्तौड़गढ़ सेक्शन का इलेक्ट्रिफिकेशन लगभग पूरा होने आया है। इसके बाद रेलवे आसानी से नई ट्रेन चला सकेगा।
- दो प्लेटफॉर्म पर इतना गाड़ियों का मूवमेंट होने से अभी कई बार गाड़ियों को प्लेटफॉर्म के खाली होने के इंतजार में आउटर पर रोकना पड़ता था। नया फ्लेटफॉर्म मिलने से ऐसा नहीं होगा।
- लाइन नंबर तीन बनने से नागदा तरफ से आने और जाने वाली दो गाड़ियों को रेलवे प्लेटफॉर्म एक व दो से संचालित कर रहा है, इनकी संख्या भी बढ़ाई जा सकेगी।
- संचालन की क्षमता बढ़ने से इंदौर, महू से नई ट्रेनों को चलाने की संभावना बढ़ेगी।
संख्या 7 लेकिन वास्तव में हैं सिर्फ 6 प्लेटफॉर्म
रतलाम स्टेशन पर प्लेटफॉर्म 7 हैं, लेकिन वास्तव में 6 प्लेटफॉर्म ही हैं। प्लेटफॉर्म नंबर तीन अस्तित्व में नहीं है। मीटर गेज के समय प्लेटफॉर्म एक, दो के साथ तीन हुआ करता था। रतलाम-इंदौर ब्रॉडगेज कन्वर्जन के दौरान जगह कम होने पर रेलवे प्लेटफॉर्म एक के कंटेनर डिपो तरफ के प्लेटफाॅर्म को खत्म कर दिया था। इससे दो प्लेटफाॅर्म रह गए थे।
कॉनकोर डिपो की जगह नहीं बन सकता गुड्स शेड
नया गुड्स शेड कॉनकोर डिपो की जगह बनना संभव नहीं हैं। इसके कई कारणों में प्रमुख तो यह कि धौंसवास में नया गुड्स शेड बनकर तैयार है। इस पर रेलवे 5 करोड़ से ज्यादा खर्च कर चुका है। दूसरा अगर यहां माल गोदाम बना भी दिया तो इससे होने वाले प्रदूषण, गंदगी और भारी यातायात के आवागमन से आसपास के रहवासियों को परेशानी होगी।
^एरिया का विस्तार करने की योजना पर काम कर रहे हैं। कॉनकोर डिपो के बंद होने से वह जमीन रेलवे के हैंडओवर हो गई है। जावरा फाटक क्षेत्र में नए एंट्री गेट और प्लेटफॉर्म की बनाने पर विचार कर रहे हैं। जल्द ही प्लान तैयार करके मुख्यालय भेज देंगे।
विनीत गुप्ता, डीआरएम
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