तहसील काे 6 जुलाई 1998 काे जिले का दर्जा मिला। 21 साल में भाजपा से विजय खंडेलवाल, हेमंंत खंडेलवाल, ज्याेति धुर्वे सांसद रहीं। डीडी उइके भाजपा से ही अभी सांसद हैं। कमल पटेल 5वीं बार विधायक हैं। वे भाजपा सरकार में तीसरी बार मंत्री हैं। वे एक चुनाव हारे। इस बीच कांग्रेस से आरके दाेगने विधायक रहे। बावजूद शिक्षा, स्वास्थ्य, राेजगार, अवैध काॅलाेनियाें की वैधता, सरकारी आवास जैसे मामलाें में काेई उल्लेखनीय काम नहीं हुए। इमलीढाना, कुकड़ापानी, जामन्या, आमाखाल जलाशय बनने से सिंचित रकबा 87 प्रतिशत हुआ है। स्वच्छता अभियान में जिपं काे सम्मान मिला। बाेर्ड परीक्षाओं में हर साल हरदा का नाम शामिल हाे रहा है, लेकिन इसमें सरकारी स्कूल गायब हैं, क्याेंकि शिक्षक कम हैं।
विलेज टूरिज्म की संभावना : कलेक्टर अनुराग वर्मा ने बताया कि पर्यटन के क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं। नर्मदा के बीच बना जाेगा का किला, घने जंगलाें के बीच बना मकड़ाई व बाेरी एरिया बहुत अच्छा है। जिले में विविधता है। विलेज टूरिज्म की बहुत संभावना है। इसमें काम करेंगे।
यह है स्थिति : शालाओं में जगह की कमी से समस्या, बिल्डिंग भी नहीं हैं, कृषि विश्वविद्यालय अब तक घोषणा में ही सीमित है
ओवर ब्रिज : शहर रेलवे ट्रैक के दोनों और बसा है। राेज 36 ट्रेन गुजरती हैं। फाटक बंद रहने पर 3 किमी लंबा जाम लगता है। 15 साल से केंद्र व राज्य के बीच मामला अटका है। पेंच क्या फंसा है, काेई नहीं जानता।
केवि : 8 साल पूर्व 8 करोड़ रुपए मंजूर हुए। भवन बनाने अबगांव में 6 एकड़ जमीन मिल गई लेकिन निर्माण शुरू नहीं हुअा। पहले वृद्धाश्रम, फिर मिडिल स्कूल, अब काशीबाई कन्या शाला में लगता है। भवन के अभाव में कुछ कक्षाओं में प्रवेश बंद है।
मॉडल, गर्ल्स कॉलेज : सीएम की मॉडल कॉलेज की घोषणा अधूरी है। एक किसान ने भूमि दान दी। भवन बनाने शासन ने राशि नहीं दी। युकां हरदा से खिरकिया 35 किमी पदयात्रा कर विरोध जता चुकी है। गर्ल्स काॅलेज भी नहीं है। माॅडल काॅलेज बने िववेकानंद काॅलेज काे गर्ल्स बनाया जा सकता है।
लॉ कॉलेज : जब हरदा तहसील थी, तब सरकारी कॉलेज में एलएलबी की पढ़ाई होती थी। जिला बनते ही बंद हाे गई। सीएम की घाेषणा 7 साल से अधूरी है। कानून की पढ़ाई करने के इच्छुक विद्यार्थी इंदौर, भोपाल, होशंगाबाद, खंडवा जाते हैं। छात्राएं अधबीच में पढ़ाई बंद करने को मजबूर है।
कृषि कॉलेज : हरदा कृषि प्रधान जिला है। मंत्री कमल पटेल कृषि कॉलेज, कृषि विवि खोलने की घोषणा कर चुके हैं। लेकिन हुअा कुछ नहीं। कृषि के क्षेत्र में कॅरियर संवारने वालाें काे जबलपुर, होशंगाबाद, इंदौर जाना पड़ता है। 21 साल में माैसम विज्ञान केंद्र भी नहीं खुला। किसानाें काे माैसम की अपडेट जानकारी नहीं मिल पाती है।
गर्ल्स स्कूल : शहर में एकमात्र गर्ल्स हायर सेकेंडरी स्कूल है। बैठक क्षमता कम है। 21 साल में दूसरा स्कूल नहीं खुला। 9वीं - 12वीं में कई छात्राएं हर साल प्रवेश से वंचित रह जाती हैं। एेसे में या ताे पढ़ाई बंद हाेती है या निजी स्कूल में प्रवेश मजबूरी है।
बायपास : शहर में ट्रैफिक का बहुत दबाव है। चारखेड़ा से बड़ा हनुमान मंदिर के बीच 2.5 किमी बायपास प्रस्तावित है। सर्वे हुआ एस्टीमेट बना। 2.50 कराेड़ रुपए नहीं मिले। इससे 40 प्रतिशत ट्रैफिक कम हो सकता है।
खेल स्टेडियम : यहां एक ही स्टेडियम है,जाे खिलाड़ियों के मान से नाकाफी है। सभी खेलाें की प्रैक्टिस यहीं हाेती है। सुबह-शाम जब सभी अाते हैं ताे विवाद हाेते हैं। विधायक निधि से नीमगांव में 1 करोड़ से इंडोर स्टेडियम बनना था। राजनीतिक श्रेय की हाेड़ ने पेंच फंसा दिया।
फूड पार्क : 15 साल से प्रस्तावित है। सुल्तानपुर व खेड़ा में जगह देखी। यहां से इंदाैर, भाेपाल के लिए सड़क मार्ग है। दिल्ली मुंबई के लिए रेल है। 18 किमी दूर नर्मदा है। लेकिन काेई उद्याेग धंधा नहीं है।
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