एकीकृत कंट्रोल कमांड सेंटर में संचालित आपदा नियंत्रण कक्ष में वीडियो कॉल करने वालों की संख्या कम हो गई है। अब वही लोग फोन कर रहे हैं, जो अपने आप को ज्यादा पीड़ित समक्ष रहे हैं। 17 दिन से 24 घंटे 7 दिन चलने वाले कंट्रोल कमांड सेंटर पर रविवार को शाम सात बजे तक 8 कॉल ही आए। इनमें एक-दो मरीज वे थे, जो दो दिन से फोन लगाकर सलाह मांग रहे हैं। अभी तक 623 लोगों ने फोन लगाकर सलाह और मदद मांगी। यहां से 70 से ज्यादा लोगों का सैंपल टीम भेजकर लिए गए।
शाम 5:26 बजे हरेंद्र सिंह निवासी गदाईपुरा ने फोन कर पूछा कि उनकी पत्नी और खुद के सैंपल की रिपोर्ट नहीं आई है। पत्नी की तबीयत बिगड़ रही है। डाॅ. सोनल जैन ने कहा कि यदि पत्नी की तबीयत खराब है तो एंबुलेंस पहुंचाकर जेएएच में भर्ती करा देते हैं। इस पर उन्होंने इनकार करते हुए निजी अस्पताल में जाने की बात कही। गौरतलब है कि हरेंद्र महाराष्ट्र के रतनागिरी से आए हैं।
शाम 5:34 बजे दानाओली में रहने वालीं अलका श्रीवास्तव ने बताया कि उनको बुखार रहता है। अभी सूखी खांसी उठ रही है। जब डाॅक्टरों की टीम ने सवाल किए। तो बोलीं, वैसे मैं बिल्कुल ठीक हूं।
मजदूरों का चेकअप कराकर छोड़ा : बानमोर से रविवार को शिवपुरी के भौंती क्षेत्र के मजदूर मालवा कॉलेज पहुंचे। इनका सबसे पहले स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया। जब सब कुछ ठीक लगा तो भौंती से लिए बसों के माध्यम से रवाना कर दिया।
जिला अस्पताल: टेली मेडिसिन के जरिए होम क्वारेंटाइन 95 लोगों को फोन कर जाना हाल
ग्वालियर| जिला अस्पताल मुरार में शुरू की गई टेली मेडिसिन यूनिट में रविवार को ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. सुनील शर्मा और ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने होम क्वारेंटाइन किए गए 95 लोगों को फोन लगाकर उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली। कुछ ने बताया कि उनके बदन में दर्द है। इस पर विशेषज्ञों ने उन्हें सलाह दी कि वह जिस कमरे में क्वारेंटाइन हैं, वहां योग या व्यायाम करें। टेली मेडिसिन में 16 सामान्य बीमारियों के मरीजों के फोन भी आए। चार मरीजों का कहना था कि वह डायबिटीज के मरीज हैं और पिछले सवा माह से खांसी हो रही है। इस पर विशेषज्ञ ने बताया कि डायबिटीज की दवा नियमित लें और गुनगुने पानी का सेवन करें। खांसी के लिए कफ सीरप लेने की सलाह दी।
ओपीडी को दो हिस्सों में बांटा : जिला अस्पताल मुरार में ओपीडी को दो हिस्सों में बांटा गया है। सामान्य मरीजों के लिए कैजुअल्टी की तरफ बने कमरों में दिखाने जाने की व्यवस्था है। संदिग्ध मरीजों को ईएनटी ओपीडी की तरफ भेजा जा रहा है।
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